Friday, 16 September 2011

ऐसे सिद्ध करें काली हल्दी, बेशुमार दौलत मिलेगी

तंत्र शास्त्र में काली हल्दी का उपयोग अनेक क्रियाओं में किया जाता है लेकिन इसके पहले इसे सिद्ध करना पड़ता है। इसकी विधि इस प्रकार है-

- धन प्राप्ति के लिए काली हल्दी यानी हरिद्रा तंत्र की साधना शुक्ल या कृष्ण पक्ष की किसी भी अष्टमी से शुरु की जा सकती है। इसके लिए पूजा सूर्योदय के समय ही की जाती है।

- सुबह सूर्यादय से पहले उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं।

- स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्योदय होते ही आसन पर बैठें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। ऐसा स्थान चुनें, जहां से सूर्यदर्शन में बाधा न आती हो।

- इसके बाद काली हल्दी की गाँठ का पूजन धूप-दीप से पूजा करें। उदय काल के समय सूर्यदेव को प्रणाम करें। आपके समक्ष रखी काली हल्दी की गाँठ को नमन कर भगवान सूर्यदेव के मंत्र 'ओम ह्रीं सूर्याय नम:' का 108 बार माला से जप करें।

- यह प्रयोग नियमित करें ।



- पूजा के साथ-साथ अष्टमी तिथि को यथासंभव उपवास रखें व ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

- हरिद्रा तंत्र की नियम-संयम से साधना व्रती को मनोवांछित और अनपेक्षित धन लाभ होता है। रुका धन प्राप्त हो जाता है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस तरह एक हरिद्रा यानि हल्दी घर की दरिद्रता को दूर कर देती है। 




अद्भुत मंत्र, जो दिलाता है पितृ दोष से मुक्ति

धर्म शास्त्रों के अनुसार मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि वह सभी प्रकार की बाधाओं का नाश कर सकती है। यदि मंत्र जप पूरे विधि-विधान से किया जाए तो ऐसी कोई बाधा या दोष नहीं जिसका निवारण नहीं हो सकता। नीचे ऐसा ही एक मंत्र दिया गया है जिसका जप करने से पितृ दोष का प्रभाव अप्रत्याशित रूप से कम हो जाता है व पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष में इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ रहता है इसके अलावा प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को भी इसका जप कर सकते हैं।



मंत्र

ऊँ सर्व पितृ प्रं प्रसन्नों भव ऊँ



जप विधि

- पितृ पक्ष में प्रत्येक दिन व प्रत्येक मास की अमावस्या तिति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान सूर्य नारायण की ओर मुख करके उनका पूजन करें व अध्र्य दें।

- इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें।

- कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।

- एक ही समय, स्थान, माला व आसन होने से शीघ्र लाभ होता है।



लोन चुकाना है, पैसों की परेशानी है, बस ये करें...

लोन लेना बहुत जरूरी था लेकिन आज तक नहीं चुका पाएं और यही टेंशन है कि कैसे चुका पाएंगे तो ज्योतिष के अनुसार मंगल देव के उपाय कर के देखें। कुछ ही दिनों में आपका लोन पूरी तरह चुक जाएगा। ज्योतिष में लोन, उधार और ऋण का कारक ग्रह मंगल को ही माना गया है। ज्योतिष के नजरिये से देखें तो मंगल देव की कृपा से ही आपकी लोन की टेंशन खत्म हो जाएगी।



क्या उपाय करें मंगल देव के लिए-

- मंगल देव के अनुसार रोज लाल गाय की पूजा करें।

- लाल कपड़े में मसुर की दाल रखकर दान दें।

- हर मंगलवार हनुमान जी को तेल का दीपक लगाएं।

- बजरंग बाण के पाठ करें।

- बहती नदी में तांबे के पात्र में गुड़ रखकर दान दें।

- रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी भर कर सोएं  और सुबह कांटेदार पेड़ पोधे में डाल दें।

- मंगलवार को हनुमान मंदिर में लाल कपड़े, गुड़ चने आदि का दान दें।

- 21 मंगलवार तक हनुमान जी को चमेली का तेल, केवड़े का इत्र और 5 गुलाब के फूल चढ़ाएं।



सम्मोहन का एक ऐसा मंत्र जो आपकी किस्मत चमका देगा

सम्मोहन क्या है? कोई जादू है या चमत्कार है जिससे इंसान अपने मनचाहे काम किसी दूसरे इंसान से करवा सकता है। सम्मोहन को समझना हर कोई चाहता है क्योंकि सभी समझते हैं कि सम्मोहन वह कला है जो अगर आपको आ जाए तो आप किसी को भी अपने बस में कर सकते हैं। दरअसल ये इसी कारण होता है क्योंकि हम सम्मोहन का वास्तविक अर्थ नहीं समझ पाते हैं। अधिकतर लोग समझते हैं कि सम्मोहन वह अवस्था है जिसमें मनुष्य अवचेतनअवस्था में रहता है। न तो वह जागता रहता है न ही वह सोता रहता है। उसकी इंद्रिया उसके वश में होती है। वह सब कुछ करता है लेकिन सम्मोहन करने वाले के इशारों पर। 

वह अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता में नहीं होता है।

हां यह बात सही भी है। लेकिन भगवान ने हम सभी को भीतर एक सम्मोहन दिया है जिसे हम समझ नहीं पाते हैं। लेकिन एक सच और है वह यह कि सम्मोहित वही होता है जो होना चाहता है। हम सब के भीतर अवचेतन मन में एक सम्मोहन क्षमता है। यही कारण है कि जब हम अपने अंतर मन की आवाज को वाकई सुनते हैं। ऐसा अक्सर लोगों के साथ तब होता है जब उन्हें तुरंत निर्णय लेना होता है और वह फैसला सही साबित होता है। यही कारण है कि जब हम कठिन परिस्थिति में कोई निर्णय लेते हैं तो हमें चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं क्योंकि वही समय होता है जब चेतन मन और अवचेतन मन का संधि काल होता है।

इसका कारण यही है कि उस अवस्था में हम अपने अवचेतन मन की आवाज सुन रहे होते हैं बस यही सम्मोहन कला है। उस समय मन का वश आपके ऊपर नहीं चलता बल्कि आप मन पर अपना वश चला रहे होते हैं। जैसे जब हमें गुस्सा आता है तो हम उस पर नियंत्रण नहीं कर पाते। लेकिन बाद में हमें अपने ही गुस्से पर गुस्सा आने लगता है। कारण यही है कि उस समय हमारा पूरा ध्यान गुस्से पर होता है न कि किसी और चीज पर। उस समय हम सम्मोहन में होते हैं अपने गुस्से के सम्मोहन में।

बस ऐसा ही जीवन में हर चीज को पाने के लिए सम्मोहन का सिद्धांत ही काम करता है। जब आप किसी चीज पूरी तरह ध्यान लगा रहे होते हैं तो वह आपकी तरफ अपने आप चली आती है। बस देर है तो मन को याद दिलाने की। आपकी जरूरत क्या है यह याद करने की। जब आप किसी चीज को बार-बार मन को दोहराते हैं और सोच को सकारात्मक रखते हैं तो ऐसी कोई चीज नहीं जिसे आप नहीं पा सकते हैं या कहें सम्मोहित कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करने लगेंगे तो ये सारी सृष्टि आपके लिए काम करने लगेगी आपको सहयोग करने लगेगी।















कल शनिवार को पीपल के नीचे करें ये उपाय, खत्म होगा बुरा समय

अधिकांश लोगों को शनि दोष की वजह से जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। अत: सभी लोगों के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव प्रदान करते हैं। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर संघर्ष देखना पड़ता है।

शनि के बुरे प्रभावों को दूर करने या कम करने के कई उपाय बताए गए हैं। शनिवार के दिन शनि दोषों से निवारण के लिए कुछ खास उपाय हैं, जिन्हें अपनाने से निश्चित ही व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है। यदि आप भी शनि की वजह से जीवन में अत्यधिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो यह उपाय प्रति शनिवार को करें।

प्रति शनिवार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। नीले रंग के वस्त्र धारण करें। किसी पीपल के वृक्ष की ओर जाएं। अपने साथ दीपक, तेल, रुई की बत्ती आदि पूजन सामग्री भी साथ ले जाएं। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर शनि देव का ध्यान करें और अशुभ प्रभावों को दूर करने की प्रार्थना करें।

इस प्रकार तैयार करें दीपक?

ध्यान रहे दीपक ऐसा हो जिसके चार मुख हो मतलब जिस दीपक को एक साथ चार जगह से जलाया जा सके। इस प्रकार दीपक में दो रुई की लंबी बत्तियां लगाएं और दोनों बत्तियों के चार मुंह दीपक से बाहर निकालें। अब चारों ओर से दीपक को जलाएं।

यह दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे रखें और शनिदेव से प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा लगाएं।

पुन: घर लौटकर एक कटोरी में तेल लें, उसमें अपना चेहरा देखें और इस तेल का दान करें। इस प्रकार यह उपाय अपनाने से शनि दोषों का प्रभाव अवश्य कम हो जाएगा। ध्यान शनि बुरे कर्मों का बुरा फल देते हैं अत: बुरे कर्मों से दूर रहें। अन्यथा और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।


गुरु-शनि की राशि में बुध, किसी को पैसा मिलेगा तो किसी को परेशानियां...

पूर्व में बताया गया था कि मेष लग्न की कुंडली में सप्तम और अष्टम भाव में बुध हो तो क्या प्रभाव पड़ता है? अब जानिए यदि किसी व्यक्ति की मेष लग्न की कुंडली के नवम एवं दशम भाव में बुध हो तो क्या फल प्रदान करता है-

मेष लग्न की कुंडली में बुध नवम भाव में हो तो...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसके नवम भाव में बुध स्थित है तब उस व्यक्ति को भाग्य का साथ बहुत कम प्राप्त होगा। नवम भाव गुरु की धनु राशि है। इस भाव में बुध होने से व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता और पैसा प्राप्त कर पाता है।  शत्रुओं के संबंध में व्यक्ति को विजय मिलेगी। इन लोगों का भाग्य भाई-बहनों के संबंध में साथ देता है। इन्हें छोटी-छोटी सफलताओं के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ती है।

मेष लग्न की कुंडली के दशम भाव में बुध हो तो...

कुंडली में दशम भाव मकर राशि का स्वामी शनि है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसमें शनि की राशि में बुध स्थित है तो व्यक्ति को जीवनभर समाज और पैसों से जुड़ी बहुत सी उपलब्धियां प्राप्ति होती है। दसवां भाव पिता से संबंधित होता है। अत: व्यक्ति को पिता से भी सहयोग प्राप्त होता है। इन लोगों को मेहनत का उचित परिणाम प्राप्त होता है। समाज में इन्हें मान-सम्मान मिलता है। व्यक्ति को माता, भूमि आदि के संबंध में सुख की कमी रहती है।

आगे पढि़ए मेष लग्न की कुंडली में बुध यदि एकादश या द्वादश भाव में हो तो, क्या फल प्राप्त होते हैं...




लकी चार्म: निकल पड़ेगी प्यार पैसा और करियर की गाड़ी

किस्मत, प्यार और पैसों से जुड़ी हर परेशानी को दूर करना है तो राशि अनुसार लकी  चार्म का उपयोग करें। अगर लकी चार्म अपने साथ रखें तो प्यार और पैसों में भी किस्मत का हमेशा साथ मिलता है।

जी हां, ज्योतिष के अनुसार हर राशि का किसी न किसी वस्तु पर अपना विशेष प्रभाव होता है। ऐसी वस्तुए हमेशा साथ रखने से राशि और ग्रहों का शुभ प्रभाव पड़ता है। ये वस्तएं लकी चार्म कहलाती है। अगर आप चाहते हैं आपके हर काम बने तो लकी चार्म अपने पास रखें।



मेष- मेष राशि वाले लकी चार्म के रूप में लाल हकीक अपने साथ रखें।

वृष- वृष राशि वाले अगर सफेद कोड़ी को लकी चार्म के रूप में अपने पास रखें तो किस्मत हमेशा साथ देती है।

मिथुन- गणेश रूद्राक्ष मिथुन राशि वालों के लिए लकी रहेगा।

कर्क- आपकी राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए चांदी का चंद्रमा कर्क राशि वालें हमेशा अपने साथ रखे तो हर काम बनते चले जाएंगे।

सिंह- सिंह राशि वालें सोने या तांबे का बना सूर्य का लॉकेट साथ में रखें या पहनें यही आपका लकी चार्म होगा।

कन्या- राशि के अनुसार गणेश जी का लॉकेट आपके लिए लकी चार्म साबित होगा।  इसे पहने या अपने साथ रखें।

तुला- इस राशि वालों के लिए लकी चार्म के रूप में गौमती चक्र सर्वश्रेष्ठ रहेंगे।

वृश्चिक- मंगल की इस राशि के लोग हाथी दांत से बनी किसी भी वस्तु का लॉकेट गले में पहनें या अपने साथ रखें।

धनु- इस राशि का स्वामी गुरु है इसलिए आप हल्दी की गांठ को अपना लकी चार्म बनाएं।

मकर- फिरोजा रत्न लॉकेट में बना कर पहने तो वो आपके लकी चार्म का काम करेगा।

कुंभ- शनि देव की राशि के लोग अष्ट धातु की अंगुठी को अपना लकी चार्म बना कर पहनें।

मीन- इस राशि के लोग लकी चार्म के लिए गोल्ड से बनी कोई भी वस्तु अपने साथ रख सकते हैं।



श्राद्ध पक्ष में क्या करें, क्या न करें?

पितरों को तृप्त करने वाला श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो चुका है। हमारे धर्म शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष के दिनों में कई कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान कुछ खास कार्य किए जाने चाहिए जिनसे हमारे पितर खुश होते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि हमारे पितर हमसे संतुष्ट नहीं होंगे तो भगवान भी हमें कोई शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं इसलिए पितरों को प्रसन्न रखने के लिए वर्जित कार्यों से दूर रहना चाहिए।

श्राद्ध में वर्जित कार्य

इन दिनों हमें पान नहीं खाना चाहिए। बॉडी मसाज या तेल की मालिश नहीं करना चाहिए। किसी और का खाना नहीं खाना चाहिए। इन दिनों के लिए विशेष रूप से संभोग को वर्जित किया गया है। इन नियमों का पालन न करने पर हमें कई दु:खों को भोगना पड़ता है। इन दिनों खाने में चना, मसूर, काला जीरा, काले उड़द, काला नमक, राई, सरसों आदि वर्जित मानी गई है अत: खाने में इनका प्रयोग ना करें।

श्राद्ध में यह कार्य करें

श्राद्ध के दिनों में तांबे के बर्तनों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। पितरों का श्राद्ध कर्म या पिण्डदान आदि कार्य करते समय उन्हें कमल, मालती, जूही, चम्पा के पुष्प अर्पित करें। श्राद्धकाल में पितरों के मंत्र (ऊँ पितृभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम: पितामयभ्य: स्वधायीभ्य स्वधा नम: प्रपितामयभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम:) का जप करें। इस मंत्र से पितरों सहित सभी देवी-देवता आपसे प्रसन्न होंगे।




घर में इस दिशा में श्री गणेश बैठाकर करें पूजा..चलेगा दिमाग, मिलेगा पैसा

बुद्धि, ज्ञान और धन जीवन की ऐसी जरूरते हैं, जिनमें से एक के भी अभाव से पैदा रुकावटें जीवन में निराशा और असफलता ही लाती है। इन जरूरतों और विघ्रों से बचने के लिए ही हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पहली पूजा शुभ मानी गई है।

खासतौर पर घर में श्री गणेश की स्थापना सुख-समृद्ध बनाने वाली मानी गई है। वैसे तो किसी भी रूप में गणेश पूजा अशुभ नहीं, किंतु शास्त्रों में बताई दिशा को ध्यान रख भगवान गणेश की प्रतिमा देवालय में रखी जाए तो यह अपार बुद्धि, धन और ज्ञान की कामनाएं सिद्ध करती हैं। जानते हैं कौन-सी है यह दिशा?

शास्त्र लिखते हैं कि -

हेरम्बं तु यदा मध्ये ऐशान्यामच्युतं यजेत्।

आग्रेय्यां पञ्चवक्त्रं तु नैऋत्यां द्युमणि यजेत्।

वायव्यामम्बिकां चैव यजेन्नित्यमतन्द्रित:।।

इस मंत्र द्वारा बताया गया है कि घर की ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित देवालय में भगवान गणेश की प्रतिमा पश्चिम दिशा की ओर मुख कर रखें। अगर पंचदेवता बैठाएं तो श्री गणेश को बीच में विराजित करें।

- श्री गणेश से ईशान दिशा यानी उत्तर-पूर्व में श्री विष्णु,

- आग्रेय यानी दक्षिण-पूर्व में शंकर, 

- नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम में सूर्य और

- वायव्य यानी उत्तर-पश्चिम दिशा में मां दुर्गा बैठाएं।

शास्त्रों में ईशान दिशा स्वर्ग की दिशा और इस दिशा में मुख कर मंत्र ध्यान या जप ज्ञान और ज्ञान से बुद्धि व धन की वृद्धि करने वाला माना गया है।



आने से पहले कुछ ऐसे इशारे करती है धन लक्ष्मी..

जी हां, अगर लक्ष्मी आप पर खुश है तो आपको उसका इशारा या संकेत जरूर मिलेगा। हमारे दैनिक जीवन में कई बातें, इशारें या संकेत ऐसे होते है जो होते तो सामान्य है लेकिन हम उन पर ध्यान नहीं देते या उन्हे सही समय पर समझ नहीं पाते। अगर उनको समझा जाए तो धन संबंधित कोई बड़ा लाभ हो सकता है।



जानें, वो कैसे संकेत हैं जो लक्ष्मी खुश होने पर आपको देती है।

अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सिधे हाथ में खुजली हो रही है तो समझे लक्ष्मी आने वाली है।

- बैंक में पैसे जमा करने जाते वक्त अगर रास्ते में गाय आ जाए तो आपके धन संबंधित सभी काम पूरे होते हैं।

- अगर रास्ते मे सुंदर स्त्री या कन्या दिख जाए तो भी इसे शुभ मानना चाहिए।

- लेन-देन के समय भी पैसा हाथ से छूट जाए तो समझना चाहिए धन लाभ होगा।

- अगर आपके यहाँ सोकर उठते से ही सुबह सुबह कोई भिखारी मांगने आ जाए तो ये समझना चाहिए आपके द्वारा दिया गया पैसा (उधार) बिना माँगे वापस आ जाएगा। ऐसे व्यक्ति को कभी खाली हाथ न लौटाएं।

- अगर आप धन संबंधित काम के लिए कहीं जाने के लिए कपड़े पहन रहे हैं और जेब से पैसे गिरें तो यह आपके लिए धन प्राप्ति का संकेत हैं।

- कहीं जाते समय नेवले द्वारा रास्ता काटना या नेवले का दिखना शुभ संकेत होता है। नेवला दिखना धन लाभ का संकेत होता है।

- आप सोकर उठे हों और उसी समय नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना रहती है।

- दिन में नेवला दिखना ठीक नहीं माना जाता, फिर भी कई स्थानों पर यह काल से बचाने वाला, धन प्राप्ति कराने वाला होता है।












Monday, 12 September 2011

Rudrakshas (1-9) and their healing properties.



The Ek Mukhi Rudraksha (one faced rudraksha) is the symbol of Godhood, Supreme Truth and Attainment of Eternity. The One Mukhi Rudraksha is itself Lord Shiva and it is the main among all Rudrakshas of all faces. It is ruled by the Sun and enlightens the Super Consciousness. It brings the power of Dharana to the wearer meaning the power to concentrate the mind on an object.
According to the mythological books peace and pleasure abide in the house where one faced Rudraksha is worshipped. There is no fear of untimely death. Its wearer himself is fortunate by himself. One who gets it and worships it obtains not only all the worldly pleasures during his life - span but also remains unaffected by them. It is an ideal thing for the doctors. It helps them to diagnose the disease and gives them success in surgery too.
Other Details
  •  Symbol of : Lord Shiva
  •  Ruling Planet : Sun
  •  Day of wearing : Monday
  •  Recommended for : Headache, Heart Disease and Right Eye Defect.
Mantras
"Om Namah Shivaya" and  "Om Hreem Namah"
Way of Wearing
Ek mukhi Rudraksha should be capped with gold or silver and should be worn round the neck or be placed at the worshipping place, chanting the mantra.  Getting up in the morning the devotee should salute the one faced Rudraksha first, pronouncing mantra.

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Do Mukhi Rudraksha - Stays in sound health - mentally and physically A two-faced Rudraksh has two natural marked lines. It is believed to be the manifestation of Lord Shiva and Goddesses Parvati together and represents Ardhanarishwar.The person wearing two faced Rudraksh stays in sound health - mentally and physically. Mother Lakshmi (the Godesses of Wealth) also showers her blessings on the wearer and the wondrous radiation power keeps the mind in balance.Two faced Rudraksha bead helps the wearer concentrate his/her mind, and increase spiritual power. Pregnant women can have easier deliveries of their baby if they wear Two faced Rudraksha bead around the waist.


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The ruling planet of Three mukhi Rudraksha is Mars. Depression, negative and guilty feelings, inferiority complexes can be lessened by wearing Three mukhi Rudraksha. The Three mukhi Rudraksha is worn to boost the self-confidence and to counter depressions.Three mukhi Rudraksha also provides physical strengths and helps in cure of several diseases. It also wards off ill-luck and tensions and can help purify all sins.

Three faced Rudraksha symbolises lord Agni - the fire god.Three mukhi Rudraksha represents Brahma, Vishnu and Mahesh ( also known as Trimurti). This destroys ill luck, if worn regularly. It bestows health, wealth and knowledge too.All the merits obtained from the worship of fire god, are attained by wearing a rosary of three faced Rudraksha.The wearer becomes free from all diseases and he becomes like a true brahmin. His enemies are vanquished.

It is very effective for jaundice. Its wearer always remain healthy and active.
 


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The ruling planet of Four faced Rudraksha is Mercury, it represents Goddess Saraswati and Brahma. Malefic effects of Mercury include intellectual dullness, lack of grasping and understanding power, difficulty in effective communication and also neurotic conditions of the mind. Four mukhi Rudraksha nullifies the malefic effects of Mercury and pleases Goddess Saraswati. It also governs logical and structural thinking.This bead helps achieve a healthy mind and body. Four mukhi Rudraksha can help increase mental power, intelligence, knowledge, concentration and knowledge. It can also increase sexual power and attractiveness. It is used for making one more sought after by the opposite sex.This symbolises lord Brahma. If the Rudraksh is boiled in milk and that milk is taken for 20 days. It gives knowledge and clarity of mind, it is said by wearing it, the ill evil thoughts arising in one's mind are destroyed. This Rudraksh is especially important for the students and scholars. All types of learning become easier to the wearer of this Rudraksh. Such a person gains deep insight and perceives the secrets of religion easily. Lord Rudra is very much pleased with its wearer.
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The ruling planet for the Five-Mukhi bead is Jupiter. This bead represents Lord Shiva, the symbol of auspiciousness. This bestows the pleasures of married life. It is said to give wealth, honour and status to the one who wears it. In Astrology it is said to reduce the malefic effects of Jupiter.The wearer of a Five-Mukhi will attain health and peace of mind. Five-Mukhi Rudraksha also helps to regulate blood pressure and relieve cardiac ailments. 



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Six mukhi Rudraksha's ruling planet is Venus. Venus governs genital organs throat, valour, sexual pleasure, love, music etc. This bead enriches the career path and helps you achieve immense professional and academic success. It helps you fulfill dreams and lead a very luxurious life. This is regarded as the symbol of Kartikeya, the six faced son of lord Rudra and moher Sharada. He is the younger brother of lord Ganesha. This confers knowledge of the very highest kind. This helps women in diseases like hysteria and other mental illness. Those interested in tantra also gets benefit by it. It also helps students and businessmen.It represents Lord Ganesha and Kartikeya. Its possessor attains complete success in the business and earns great wealth. It is beneficial in the cure of epilepsy and all women related problems


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Seven faced Rudraksha governs Saturn, the all powerful Shani Bhagwan. When worn it sublimates the malefic effects of Shani and its disease like, impotency, cold, obstructions, hopelessness, delay, chronic disease, scarcity, worry etc. The seven mukhi helps in building finances and amassing wealth. 7 mukhi can help attain prosperity and peace of mind. 7 mukhi is considered very auspicious because it helps ward off fatal diseases and death and achieve longevity. Wearer of this gets wealth, fame and spiritual knowledge. 7 mukhi rudraksha is the symbol of Mahalaxmi. Seven mukhi Rudraksha blesses with wealth & prosperity.It is said that poverty and wants never touch its wearer. 7 mukhi Rudraksha also symbolises the seven great rishis. 


8 mukhi (Eight faced) Rudraksha's Ruling planet is Rahu hence helpful in sublimating it's malefic effects. Rahu's malefic effects are similar to that of Shani or Saturn. 8 mukhi Rudraksha bead increases the strength of character and mind and help achieve happiness, fame, good health and increase confidence.
8 mukhi Rudraksh is said to represent lord Ganesha...the elephant headed benign god, the son of lord Shiva and Parvati has special grace on the wearer of this Rudraksha. By wearing 8 mukhi rudraksha , all the pleasures increase and all the difficulties diminish.
Wearers of 8 mukhi rudraksha get long life and they become truthful. Such a person is born free of diseases, wise and knowledgeable any obstacle in his tasks. Such persons have special ability and talent in studies. They shall remain away from sin.
8 mukhi Rudraksha provides mental concentration. 8 mukhi Rudraksha specially useful for the business community. 8 mukhi Rudraksha is also helpful in betting, horse racing and lotteries etc.



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Nine faced (9 mukhi) Rudraksha's ruling planet is Ketu which is similar in it's effects to planets like Rahu and Shani. 9 mukhi Rudraksha controls malefic effects of Ketu. The malefic effects cause mental fatigue, lack of energy to materialize thoughts, failures etc. 9 mukhi Rudraksha can help amass wealth, property, assets and lead a luxurious life and help fulfill dreams and ambitions. 9 mukhi Rudraksha makes you more energised and more action oriented.

9 mukhi Rudraksha jointly represents Bhairava yama (lord of death) and sage Kapila. 9 mukhi Rudraksha is usually worn in left hand during te sacred occasion of Navratri to obtain blessings of mother goddess Durga. Mother Durga is the bestower of wealth, prosperity, pleasures of family life and also she grants the boon for fulfilling all one's desires. Those who wear it also obtain grace of Bhairava. They are benefited by the power of Bhairava. He obtains honour like the king of gods Indra and he also gets boon from lord Ganesha.

The wearer of 9 mukhi Rudraksha is freed from the fear of death. The possessor of 9 mukhi Rudraksha is blessed with all kinds of fame, respect and success related to spiritual progress.


 



Herb for sexual potency and sress care.


Ashwagandha, one of the most vital herbs in Ayurvedic healing, has been used since ancient times for a wide variety of conditions, but is most well known for its restorative benefits. In Sanskrit ashwagandha means “the smell of a horse,” indicating that the herb imparts the vigor and strength of a stallion, and it has traditionally been prescribed to help people strengthen their immune system after an illness. In fact, it’s frequently referred to as “Indian ginseng” because of its rejuvenating properties (although botanically, ginseng and ashwagandha are unrelated). In addition, ashwagandha is also used to enhance sexual potency for both men and women.Ashwagandha
Belonging to the same family as the tomato, ashwagandha (or Withania somnifera in Latin) is a plump shrub with oval leaves and yellow flowers. It bears red fruit about the size of a raisin. The herb is native to the dry regions of India, northern Africa, and the Middle East, but today is also grown in more mild climates, including in the United States.

Scientific Research

Ashwagandha contains many useful medicinal chemicals, including withanolides, (steroidal lactones), alkaloids, choline, fatty acids, amino acids, and a variety of sugars. While the leaves and fruit have valuable therapeutic properties, the root of the ashwagandha plant is the part most commonly used in Western herbal remedies.
Medical researchers have been studying ashwagandha with great interest and as of this date have carried out 216 studies of its healing benefits, summarized below:
  • confers immune system protection
  • combats the effects of stress
  • improves learning, memory, and reaction time
  • reduces anxiety and depression without causing drowsiness
  • stabilizes blood sugar
  • lowers cholesterol
  • reduces brain-cell degeneration
  • contains anti-malarial properties
  • offers anti-inflammatory benefits
Some studies have also found that ashwagandha inhibits the growth of cancer cells in small animals, but further research is needed to determine whether the herb prevents the development of tumors in human beings.

Practical Uses and Precautions

The usual recommended dose is 600 to 1000 mg, twice daily. For people who suffer from insomnia and anxiety, having a cup of hot milk that contains a teaspoon of powdered ashwagandha before bedtime is beneficial. In extremely large doses, ashwagandha has been reported to induce abortions in animals. Although no similar studies have been carried out on humans, women should avoid the herb during pregnancy.


Saturday, 10 September 2011

बोलें मात्र 1 अक्षर के गणेश मंत्र..आएगा सफलताओं का सैलाब

भगवान गणेश आदिदेव माने जाते हैं। इसलिए श्री गणेश परब्रह्म के पांच अलग-अलग रूपों में एक व प्रथम पूज्य भी हैं। हर शास्त्र ईश्वर की इन शक्तियों के कण-कण में बसे होने का संदेश देकर देवत्व भाव को अपनाने की सीख देता है। किंतु सांसारिक बंधन से स्वार्थ या दोषों के वशीभूत होकर हर जीव भटककर कलह और संताप पाता है।

ऐसी ही परेशानियों या मुश्किलों को सामना हम हर रोज घर या बाहर उठते-बैठते करते हैं। जिनसे छुटकारें के लिए अनेक तरीके अपनाते हैं। इनमें शास्त्रों में परब्रह्म स्वरूप भगवान गणेश के विराट रूप व शक्ति द्वारा जीवन को सफल व कलहमुक्त बनाने के लिए गणेश के बीज मंत्रों के स्मरण का भी महत्व है, जो कार्य व मनोरथसिद्धि में शक्तिशाली और असरदार भी माने गए हैं।

खास बात यह है कि पूजा-उपासना के अलावा अचानक मुसीबतों के वक्त भी मन ही मन इनका स्मरण संकटमोचन व कामयाबी का अचूक उपाय है। जानते हैं कौन-से ये छोटे किंतु प्रभावी गणेश एकाक्षरी बीज मंत्र -

- गं

- ग्लौं और

- गौं

शास्त्रों के मुताबिक ये एकाक्षरी मंत्र अन्य गणेश नाम मंत्रों के साथ लेने पर बहुत ही मंगलकारी व मनोरथसिद्ध करने वाले हैं।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।





इन सातों को नींद से जगाना मतलब खतरे की घंटी...

जीवन को सुखी और शांत बनाए रखने के लिए शास्त्रों में कई अचूक नियम और उपाय बताए गए हैं। इन उपायों और नियमों का पालन करने वाले इंसान को कभी भी दुख का सामना नहीं करना पड़ता। वे लोग हर पल सुखी और चिंताओं से मुक्त रहते हैं।

जीवन में सफलताएं प्राप्त करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य द्वारा कई सटीक सूत्र बताए गए हैं। इन्हीं से एक सूत्र ये है सर्प, नृप अथवा राजा, शेर, डंक मारने वाले जीव, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते और मूर्ख, इन सातों को नींद से नहीं जगाना चाहिए, ये सो रहे हैं तो इन्हें इसी अवस्था में रहने देना ही लाभदायक है।

यदि किसी सोते हुए सांप को जगा दिया जाए तो वह हमें अवश्य डंसेगा। किसी राजा को जगाने पर राजा का क्रोध झेलना पड़ सकता है। यदि किसी शेर को जगा दिया तब तो निश्चित ही मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है। किसी डंक मारने वाले जीव को जगाने पर भी मृत्यु का संकट खड़ा हो सकता है। यदि कोई छोटा बच्चा सो रहा है तो उसे जगाने पर संभालना मुश्किल होता है। दूसरों के कुत्तों को जगा दिया जाए तो वह भौंकना शुरू कर देगा, काट भी सकता है। यदि कोई मूर्ख इंसान सो रहा है तो उसे भी सोते रहने देना चाहिए क्योंकि मूर्ख व्यक्ति को समझा पाना बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी संभव नहीं हैं।


हर संकट से बचाएंगे श्रीगणेश के ये 21 नाम

क्या आप प्रत्येक कार्य में बाधा, व्यापार में घाटा, परिवार में क्लेश इत्यादि परेशानियों के कारण परेशान हैं तो घबराइए बिल्कुल मत क्योंकि भगवान श्रीगणेश आपकी हर परेशानी का समाधान कर सकते हैं। 10 सितंबर, शनिवार को गणेशोत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन यदि विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा 21 नामों से की जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं का निदान हो जाता है। यह नाम इस प्रकार हैं-

1- ऊँ सुमुखाय नम:

2- ऊँ गणाधीशाय नम:

3- ऊँ उमापुत्राय नम:

4- ऊँ गजमुखाय नम:

5- ऊँ लंबोदराय नम:

6- ऊँ हरसूनवे नम:

7- ऊँ शूर्पकर्णाय नम:

8- ऊँ वक्रतुण्डाय नम:

9- ऊँ  गुहाग्रजाय नम:

10- ऊँ एकदंताय नम:

11- ऊँ हेरम्बाय नम:

12- ऊँ चतुर्होत्रे नम:

13- ऊँ सर्वेश्वराय नम:

14- ऊँ विकटाय नम:

15- ऊँ हेमतुण्डाय नम:

16- ऊँ विनायकाय नम:

17- ऊँ कपिलाय नम:

18- ऊँ कटवे नम:

19- ऊँ भालचंद्राय नम:

20- ऊँ सुराग्रजाय नम:

21- ऊँ सिद्धिविनायकाय नम:




ये पौधा घर में होगा तो नहीं आएंगे यमराज या यमदूत

यमराज या यमदूत का नाम आते हैं मौत का डर सताने लगता है। हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु का समय आ जाता है उसकी आत्मा को लेने के लिए यमराज या यमदूत आते हैं। यमराज आने का अर्थ है साक्षात मृत्यु का आना। मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक है घर में तुलसी का पौधा लगाना।

शास्त्रों में तुलसी की बड़ी महिमा बताई गई है-

तुलसीकाननं चैव गृहे यस्यावतिष्ठते।

तद्गृहं तीर्थभूतं हि नायांन्ति यमकिंकरा:।

तुलसीमंजरीभिर्य: कुर्याद्धरिहर्रानम्।

न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी भवेन्नर:।।

वेद-पुराण में दिए गए श्लोक का अर्थ है- जिसके व्यक्ति के घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ के समान है। वहां मृत्यु के देवता यमराज नहीं आते हैं। जो मनुष्य तुलसीमंजरी से भगवान श्रीहरि की पूजा करता है उसे फिर गर्भ में नहीं आना पड़ता अर्थात उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है, पुन: धरती पर जन्म नहीं लेना पड़ता। इस श्लोक से स्पष्ट है कि तुलसी के पौधे को पवित्र और पूजनीय माना गया है।

यहां यमराज या यमदूत से यही तात्पर्य है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होगा वहां रहने वाले लोगों का जीवन स्वर्ग के समान होगा। तुलसी के प्रभाव से घर में सभी सुख-सुविधा के साधन होंगे। किसी को भी मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तुलसी का पौधा होने से वातावरण में मौजूद कई विषैले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। वास्तु के अनुसार तुलसी के पौधे से कई वास्तु दोषों का निवारण हो जाता है।


सही समय पर सही विकल्प पहचानने वाले रच देते हैं इतिहास...

समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं और इन समस्याओं को दूर करने के कई रास्ते भी होते हैं। कुछ लोग सही समय पर सही रास्ता चुन लेते हैं और वे सफलता के पथ पर आगे बढ़ जाते हैं। वहीं कुछ लोग सब कुछ भाग्य या नियति के भरोसे छोड़कर बैठ जाते हैं, जीवनभर दुखी होते रहते हैं।

एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने इस संबंध में कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए हैं। इन सूत्रों को अपनाकर कोई भी इंसान सफलता एक नया इतिहास रच सकता है। चाणक्य ने कहा है कि नियति तो अपना खेल रचती रहती है और इस खेल के प्रभाव से हमें कभी दुख मिलते हैं तो कभी सुख। दुख के समय में एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि नियति केवल कोई संयोग मात्र नहीं है, नियति व्यक्ति को हर समस्या से निकलने के लिए विकल्प अवश्य देती है।

बुद्धिमान इंसान वही है जो उन विकल्पों को पहचानकर, उनमें से सही विकल्प चुन लेता है। सबकुछ नियति के भरोसे छोड़कर बैठने वाले इंसान सदैव कष्ट और दुख के ही प्रतिभागी बन जाते हैं। ऐसे लोग जीवन में ना तो कुछ बन पाते हैं और ना ही कोई इतिहास बना पाते हैं। इसीलिए समझदारी इसी में है कि सही समय पर सही रास्तों को पहचाना जाए और उन रास्तों पर बिना समय गंवाए आगे बढ़ा जाए।

आचार्य चाणक्य की यह बात हर परिस्थिति में बहुत ही कारगर और समस्याओं से निजात दिलाने वाली है। जो भी इंसान नियति के इशारों को समझकर उन्हें जीवन में उतार लेता है वह नए इतिहास रच देता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए यह अचूक उपाय है। 





हर सुबह बोलें यह तुलसी मंत्र..खुशहाल रहेगा घर-परिवार

 
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा देवीय स्वरूप में पूजनीय है। धर्मग्रंथों में तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय बताई गई है। जिससे यह पवित्र और पापनाशिनी मानी गई है। धार्मिक दृष्टि से घर में तुलसी का पौधा और उसकी उपासना दरिद्रता का नाश कर सुख-समृद्ध करने वाली होती है। वहीं व्यावहारिक रूप से भी तुलसी को खान-पान में शामिल करना रोगनाशक और ऊर्जा देने वाला माना गया है।

शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन, घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। जानते हैं यह तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान विधि -

- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें। फल का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण अंत में तुलसी की पूजा करें -

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।

विष्णु प्रियायै धीमहि।

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

- पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।

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पैसे की तंगी दूर करता है यह टोटका

क्या आपके घर में हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है। खूब मेहनत करने के बाद भी घर में बरकत नहीं होती और धन प्राप्ति में बाधाएं या रुकावटें आती हैं तो इसका कारण कुछ और भी हो सकता है। कुछ लोग जलनवश तंत्र क्रिया के माध्यम से किसी के घर की समृद्धि रोक देते हैं जिसके कारण उस घर में हमेशा पैसे की कमी बनी रहती है। इस समस्या से निपटने के लिए नीचे लिखा टोटका करें-

टोटका

एक तांबे की लुटिया लें ढक्कन सहित और उसमें चांदी का सर्प-सर्पिनी का जोड़ा, चांदी का एक छोटा सा पतरा, पूजा के उपयोग में आने वाली सात सुपारियां, हल्दी की सात  साबूत और साफ गांठ डाल लें। अब इस लोटे को पानी से भर लें और इसका ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर दें। अब यह लुटिया मुख्य द्वार के पश्चिम की ओर दबा दें। इस टोटके से धन आगमन के द्वार खुल जाएंगे और आपके घर में फिर से सुख-समृद्धि का वास होगा।



क्या खास बात होती है ऐसे साइन करने वालों में

 
किसी इंसान के व्यवहार, सोच विचार, भूत और भविष्य के बारे में जानने के लिए कई तरह की विधियां और विज्ञान है। इनमें ग्रह नक्षत्र ज्योतिष, कुंडली, हस्त रेखा विज्ञान आदि है। ऐसे ही एक विधि है हस्ताक्षर से सोच-विचार, भूत और भविष्य जानने की।

लिखावट विज्ञान के अनुसार हर इंसान की लिखावट उसका आइना होती है। लिखावट में अक्षरों की बनावट और लिखने का तरिका आपकी सोच विचार, चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है। हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते है।



जानिए कैसे हस्ताक्षर वाले लोग कैसे होते है

जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर में सभी अक्षर एक ही आकार के बनाता है ऐसे साइन संतुलित हस्ताक्षर कहलाते हैं। जानिए कैसे होते हैं ऐसे लोग

-ऐसे व्यक्ति बहुत ही व्यवहारकुशल होते हैं।

- संतुलित हस्ताक्षर करने वाले लोग अपने कार्यों एवं इरादों पर दृढ़ रहते हैं।

- ऐसे व्यक्ति जो भी निर्णय लेते हैं, वह स्वतंत्र होता है।

- ज्यदातर ये देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति व्यवसाय से ज्यादा नौकरी में सफल होते हैं।

- इस तरह के लोग जल्द कामयाबी हासल करने की तीव्र इच्छा इनमें रहती है।

- ऐसे साइन करने वाले लोगों का व्यक्तित्व दूसरो आकर्षित करने मे प्रबल होता है।

- इनके विचारों से प्रभावित होने वालो की संख्या ज्यादा होती हैं।




शनिवार को इन आसान गणेश मंत्रों के ध्यान से होती है शनि कृपा

व्यावहारिक रूप से संस्कार, स्वभाव या संगत के प्रभाव से नियत कर्म, विचार, व्यवहार भी इंसान के लिए वक्त व हालात मुश्किल बनाते हैं। चाहे फिर वह शरीर, मन या धन की पीड़ाएं क्यों न हो? इसलिए अच्छाई ही सुख का आधार बताई गई है। जिसे अपनानें में व्यर्थ तर्क व विचारों में नहीं पडऩा चाहिए।

वहीं इसी बात का धार्मिक स्वरूप जानें तो शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि कर्मां के मुताबिक जगत के सभी जीवों को दण्ड देते हैं। हालांकि उनकी सजा प्रताडऩा के रूप में समझी जाती है, बल्कि असल में यह दोष निवृत्ति व आत्म चिंतन का काल होता है।

बहरहाल, धार्मिक दृष्टि से शनि पीड़ा कुण्डली में बुरे ग्रह योग या शनि दशा या दोष से क्यों न हो? उसके शमन के लिए विशेष देवताओं की उपासना और काल का भी महत्व बताया गया है। इनमें भगवान श्री गणेश भी एक हैं।

मान्यताओं में शनि, शिव भक्त व श्री गणेश भी शिव पुत्र हैं। वहीं पौराणिक कथा के मुताबिक शनि की क्रूर नजरों से गणेश के सिर छेदन के बाद शनि, मां पार्वती द्वारा शापग्रस्त हुए, तब शनि ने शापमुक्ति के लिये भगवान विष्णु द्वारा बताई  गणेश भक्ति की। यही कारण है कि गणेश पूजा शनि दोष का अंत करने वाली भी मानी गई है।

शनिवार शनि भक्ति का दिन है। यहां जाने श्री गणेश के कु छ छोटे-से मंत्र जिनका शनि मंदिर या गणेश मंदिर में बैठकर स्मरण करना परेशानियों और कष्ट-पीड़ा से मुक्त करता है -

- शनिवार को शनिदेव को सरसों तेल, काले तिल व सुगंधित फूल, काला वस्त्र तेल के पकवान का भोग चढ़ाएं। श्री गणेश को सिंदूर, चंदन, फूल व मोदक का भोग लगाकर धूप व तिल के तेल का दीप जलाएं व भगवान गणेश के इन मंत्रों का ध्यान करें या रुद्राक्ष माला से जप कर शनि व गणेश की आरती सुख की कामना से करें -

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे।

सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्रेशाय नमो नम:।।

या

ॐ क्लीं ह्रीं विघ्रनाशाय नम:। इस मंत्र का स्मरण करें।

- इस मंत्र स्मरण के बाद शनि व गणेश की आरती करें व दोनों देवताओं कृपा की कामना करें।

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अनन्त चतुर्दशी 11 को, इस व्रत से घर में आएंगी खुशियां

भाद्रमास मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान अनन्त की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। दस दिवसीय गणेशोत्सव की समापन भी इसी दिन होता है। इस बार अनन्त चतुर्दशी का पर्व 11 सितंबर, रविवार को है।

व्रत विधि

इस दिन व्रती महिला को सुबह व्रत के लिए संकल्प लेना चाहिए व भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनन्त सूत्र(14 गांठ युक्त धागा, जो बाजार में धागे के रूप में मिलता है) को रखकर भगवान विष्णु के साथ ही उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजा में रोली, मोली, चंदन, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीप, नैवेद्य आदि का प्रयोग करना चाहिए और प्रत्येक को समर्पित करते समय ऊँ अनन्ताय नम: नम: का जप करना चाहिए। पूजा के बाद यह प्रार्थना करें-

नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।

नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।

न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि

यानीह कर्माणि मया कृतानि।

सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व

प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।

दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:

प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।

तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च

प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।

प्रार्थना के पश्चात कथा सुनें तथा रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध लें। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जप करें-

अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।

अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।

इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देने के बाद स्वयं भोजन करें। इस दिन नमक रहित भोजन करना चाहिए।


कल 5 देव शक्तियों की पूजा का दुर्लभ योग..ये 5 इच्छाएं जल्द होंगी पूरी

हिन्दू धर्म में ईश्वर के पांच स्वरूप व शक्ति पूजनीय है। सारी सृष्टि इन शक्तियों के अधीन मानी गई है। ये पंचदेव के नाम से भी प्रसिद्ध है। ये पांच देवता हैं- सूर्य, शक्ति  या दुर्गा, शिव, गणेश व विष्णु। इन देवी-देवताओं की उपासना जीवन से जुड़ी अलग-अलग कामनासिद्धि के लिये भी श्रेष्ठ मानी गई है।

कल हिन्दू पंचांग भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी (11 सितंबर), जो गणेश जन्मोत्सव का भी अंतिम दिन माना जाता है, पर इन पांच देव शक्तियों की उपासना व पूजा का ही अद्भुत व पुण्य योग बना है। कैसे बना यह संयोग जानते हैं? -

- इस बार अनंत चतुर्दशी तिथि का योग रविवार के साथ बना है। चतुर्दशी तिथि गणेश जन्मोत्सव के अंतिम दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश भक्ति की विशेष घड़ी है।

- इसी तिथि के स्वामी श्री गणेश के पिता भगवान शिव हैं। शिव व शक्ति को एक-दूसरे के बिन निस्तेज व अधूरा माना गया है। इसलिए इस दिन शक्ति आवाहन भी शुभ है।

- इस तिथि पर जगतपालक भगवान विष्णु के अनंतनारायण स्वरूप की पूजा का महत्व भी है।

- रविवार का दिन सूर्यदेव की उपासना का विशेष दिन है।

इस तरह अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश के साथ शिव, दुर्गा, सूर्य व विष्णु की पूजा से जीवन से जुड़ी नीचे लिखी पांच अहम इच्छाओं को पूरा करने वाली होगी। जानें कौन-से देवी-देवता करेंगे किस इच्छा को पूरा -

श्री गणेश - बुद्धि, ज्ञान देकर व विघ्रनाश द्वारा सफलता की कामना।

सूर्यदेव - स्वास्थ्य, ऊर्जा और सौंदर्य देकर निरोगी जीवन की कामना।

शिव - आत्म संयम व अनिष्ट नाश कर शांति व सुख की कामना।

शक्ति - हर दोष, दुगुर्णो का अंत कर शक्ति संपन्नता की कामना।

विष्णु - कलह का अंत व गुण व दक्षता बढ़ाकर पालन-पोषण में सबलता।

अगर आप भी ऐसी ही कामना को जल्द पूरा करना चाहें तो इस दुर्लभ योग पर यथाशक्ति इन देवताओं की प्रसन्नता के उपाय करना न चूकें।

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Saturday, 27 August 2011

कुंडली में पितृ दोष होगा तो ऐसे सपने आएंगे।

सपनों का जीवन में विशेष महत्व है। सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। इनका अपना गोपनीय महत्व होता है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार रात में आने वाले सपनों पर कुंडली में बनने वाले दोषों का भी असर होता है। कुछ सपने ये इशारा कर देते हैं कि आपकी कुंडली में कौन सा दोष बन रहा है। इसी तरह कुछ सपने ऐसे होते है जो आपकी कुंडली में पितृ दोष होने का इशारा करते हैं।

पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति को अजीब अजीब सपने आते है। अगर किसी को पितृ दोष हो तो उसे सपने में सांप दिखाई देंगे चाहे सांप जिंदा हो या मरा हुआ हो।

अगर आप सपने में सांप से बच रहे हो या फिर उसे मार देते है तो आपको पितृ दोष है ऐसा समझ लेना चाहिए।

पितृ दोष होने पर जंगली जानवर भी सपने में दिखाई देते हैं। सपने में जंगली जानवरों का काटना भी पितृ दोष होने का संकेत देता है। अगर सपने में अपने ही घर या परिवार का मरा हुआ कोई सदस्य दिखाई देता है तो भी पितृ दोष है ऐसा जानना चाहिए। शास्त्रों और पुराणों में पितृओं के लिए सफेद रंग बताया गया है। इसलिए अगर  सपने में सफेद कपड़े पहने कोई व्यक्ति दिखें तो भी समझ लेना चाहिए कि आपको पितृ दोष है।

पितृओं के लिए चावल और दूध को आहार बताया गया है अगर सपने में चावल या दूध दिखे तब भी आपको समझना चाहिए की आपको पितृ दोष है। ऐसे सपने आना पितृ ऋण का सूचक  होते हैं।




हर इच्छा जल्द पूरी करेगा दुर्गासप्तशती का यह चमत्कारी मंत्र

इच्छाएं मात्र विचारों से पूरी नहीं होती, बल्कि सोच को व्यवहार में उतार कोशिशों से ही संभव है। जिसके लिए तमाम मानसिक ऊर्जा व शारीरिक शक्ति को जोड़कर व वक्त के साथ तालमेल बैठाकर लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना बेहतर उपाय है। यह व्यावहारिक रूप से शक्ति को साधकर इच्छा व सफलता को पाने का ही रास्ता है।

वहीं धार्मिक उपायों द्वारा शक्ति साधना से प्रयासों को सफल बनाने के लिए देवी उपासना का बहुत महत्व है। देवी भक्ति न केवल मनोवांछित बल्कि शीघ्र ही शुभ फल देने वाली मानी गई है। देवी साधना के लिए दुर्गासप्तशती या उसके चमत्कारी मंत्रों का स्मरण श्रेष्ठ के उपाय है।

शुक्रवार देवी उपासना का विशेष दिन होता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के अद्भुत मंत्रों में ही एक मंत्र जीवन से जुड़ी हर कामनापूर्ति जैसे धन, धान्य या संतान आदि के साथ उनमें आने वाली बाधाओं का भी अंत करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र और उसके स्मरण की आसान विधि -

- शुक्रवार को सुबह और शाम दोनों वक्त इस मंत्र का पाठ किया जा सकता है। स्नान के बाद देवी के किसी भी रूप की लाल वस्त्र पर विराजित मूर्ति या तस्वीर के सामने सुगंधित धूप व घी का दीप जलाकर माता को लाल चंदन लगाकर लाल फूल यथासंभव लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करें।

- मौसमी फल का भोग लगाएं और कामनापूर्ति की प्रार्थना के साथ नीचे लिखा दुर्गासप्तशती का मंत्र पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर लाल आसन पर बैठ बोलें या स्फटिक की माला से यथाशक्ति जप करें -

सर्वबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

-  मंत्र स्मरण या जप के बाद देवी की दीप व कर्पूर आरती कर क्षमाप्रार्थना करें।



शनिवार को ऐसे नहाएं, शनि से मिलेगा धन लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक मात्र ऐसा ग्रह बताया गया है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधा प्रभाव डालता है। एक समय में शनि की तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या चलती है। शनिदेव का स्वभाव क्रूर माना गया है। इसी वजह से अधिकांश लोगों को साढ़ेसाती और ढैय्या में कड़ी मेहनत करना होती है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ फल देने वाला होता है उसे किसी भी कार्य में आसानी से सफलता प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ राहु-केतु भी बुरा प्रभाव डालते हैं। पिता-पुत्र में अक्सर वाद-विवाद होता रहता है। परिवार में भी अशांति बनी रहती है और इसी वजह से व्यक्ति को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। साढ़ेसाती और ढैय्या के समय इस प्रकार की परेशानियां और अधिक बढ़ जाती हैं।

शनिदेव के बुरे प्रभावों से निजात पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिवार शनिदेव की आराधना के लिए खास दिन माना गया है। इस दिन शनि के निमित्त पूजन-कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। शनिवार को स्नान के संबंध में खास नियम बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद पूरे शरीर पर तेल लगाएं। तेल की मालिश करें। इसके बाद नहाने के पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर यह तेल शनिदेव को अर्पित कर दें या किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में लाभ प्राप्त होने लगेगा। धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी। इसके साथ ही घर-परिवार की समस्याओं से भी आजादी मिल जाएगी।




शिवजी के मंदिर जाएं तो पहले करें गणेशजी के दर्शन क्योंकि....

 
किसी भी मंदिर में भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है। हर व्यक्ति भगवान के मंदिर अनेक तरह की प्रार्थनाएं और समस्याएं लेकर जाता है। भगवान के सामने सपष्ट रूप से अपने मन के भावों को प्रकट कर देने से भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है। 

शिव मंदिर में जाने से पूर्व ध्यान रखें कि सबसे पहले किसे प्रणाम करना चाहिए? सभी शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश की प्रतिमा या कोई प्रतीक चिन्ह अवश्य ही रहता है, सबसे पहले इन्हीं श्री गणेशजी को प्रणाम करना चाहिए। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वेद-पुराण के अनुसार इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है।इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही की जाती है। किसी भी भगवान के मंदिर में जाए सबसे पहले भगवान गणपति का ही स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है और सभी देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है।


शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद लेना चाहिए या नहीं?

 
शिव को शंकर, भोले, महाकाल,  नीलकंठेश्वर और भी कितने ही नामों से पुकारा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनका लिंग के रूप में पूजन किया जाता है।



माना जाता है कि शिवजी ने कभी कोई अवतार नहीं लिया। मान्यता है कि शिवजी का शिवलिंग के रूप में पूजन करने से जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कई लोग नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना कर व कुछ लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग को नैवेद्य अर्पित करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।



अधिकांश लोग शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं क्योंकि उनके मन में यही भावना होती है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं। शिवपुराण के अनुसार जो बाहर व भीतर से शुद्ध है, उत्तम व्रत का पालन करने वाले हर व्यक्ति को शिव का चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।



शिव के नैवेद्य को देख लेने मात्र से ही कई दोष दूर हो जाते हैं। उसको देख लेने से करोड़ो पुण्य भीतर आ जाते हैं। स्फटिक शिवलिंग, रत्नजडि़त शिवलिंग, केसर निर्मित शिवलिंग आदि किसी भी तरह के शिवलिंग पर नैवेद्य चढ़ाने से और उसे ग्रहण करने से ब्रह्म हत्या करने का पाप भी नष्ट हो जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।







आयुर्वेद से जुड़ी ये बाते हैं अजीब लेकिन सच!

आयुर्वेद एक संपूर्ण विज्ञान है, जिसके कई पहलूओं को जानना आज के विज्ञान के लिए चुनौती है। आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के इन्द्रिय स्थान में किसी रोगी के ठीक होने के लक्षणों तथा मृत्यु सूचक लक्षणों को देखकर पहचानने का वर्णन है,जो बड़ा रोचक है ऐसे ही कुछ रोचक पहलूओं को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है:-

-यदि रोगी दही ,अक्षत,अग्नि,लड्डू ,बंधे हुए पशु, बछडे  के साथ गाय ,बच्चे के साथ स्त्री,सारस ,हंस,घी.सैंधा नमक ,पीली सरसों ,गोरोचन,मनुष्यों से भरी गाडी आदि देखता हो तो आरोग्य प्राप्त  करता है।

-रोगी द्वारा अच्छी सफ़ेद वस्तुओं को देखना,मधुर रस ,शंख ध्वनि सुनना आदि भी शीघ्र ठीक होने के लक्षण बताये गए हैं ।

 -ऐसे ही आयुर्वेद में स्वप्न से सम्बंधित अरिष्ट लक्षणों को भी बताया गया है-जैसे यदि व्यक्ति सपने में स्नान और चन्दन का लेप किया हुआ दिखे तहा मक्खियाँ उसके शरीर पर बैठी हों तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त होगा ऐसा वर्णित है।

-ऐसे ही जो व्यक्ति स्वयं को सपने में नग्न देखता है,तथा संपूर्ण शरीर में घृत लगाया हुआ ,तथा जिस अग्नि में  ज्वाला नहीं है उसमें हवन करता हुआ देखता है वैसे व्यक्ति के असाध्य त्वचा रोगों से पीडि़त होकर मृत्यु क ी संभावना बतायी गयी है।

-जो व्यक्ति हमेशा ध्यान में रहे तथा श्रम न करने पर भी थकान महसूस करे ,बिना कारण बैचैन हो,जहां मोह नहीं करना चाहिए वहां मोह करे,पूर्व में क्रोधी न हो पर अचानक क्रोधी स्वभाव का हो जाय,मूर्छा एवं प्यास से पीडि़त हो तो समझें वह मानसिक रोग से पीडि़त हो जाएगा।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में कुत्ते ,ऊंट क़ी  सवारी करता हुआ दक्षिण दिशा क़ी ओर जाता हो तथा विचित्र प्रकार की आकृतियों  के साथ मदिरा पान करता हुआ स्वयं को देखता हो तो वह रोगों के समूह यक्ष्मा से पीडि़त होगा ,ऐसा वर्णित है।

-यदि व्यक्ति किसी जल भरे तालाब या नदी में जहां जाल नहीं बिछाया गया है जाल देखता है तो उसकी मृत्यु निश्चित है, ऐसा जानें।

-यदि रोगी के उदर पर सांवली,ताम्बे के रंग क़ी ,लाल,नीली ,हल्दी के तरह क़ी रेखाएं उभर जाएँ तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।

-यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड जाएँ तथा उसे वेदना न हो तो रोगी क़ी आयु पूर्ण हो गयी है, ऐसा मानना चाहिए।

 - व्यक्ति  स्वप्न में अपने शरीर पर लताएं उत्पन्न देखे  और पछी  उसपर घोंसले बनाकर रहे हुए दिखें तो उसके जीवन में संदेह है इसी प्रकार यदि स्वप्न में व्यक्ति यदि अपना बाल उतरा हुआ देखे तो भी वह रोगी होगा  ऐसा उल्लेखित है।

-जिस व्यक्ति का श्वांस छोटा चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शान्ति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में पर्वत ,हाथी घोड़े पर स्वयं को या अपने हितैषियों को चढ़ते हुए देखता है,साथ ही समुद्र या नदी में तैरते हुए उसको पार करता हुआ देखता है ,चन्द्रमा,सूर्य एवं अग्नि  को प्रकाशित देखता है  तो वह आरोग्य को प्राप्त होगा।

-इसी प्रकार व्यक्ति का थूक या मल पानी में डूब जाय तो आयुर्वेद के ऋषियों केअनुसार उसकी मृत्यु निश्चित मानना चाहिए।

संभवत: आयुर्वेद के मनीषियों द्वारा व्यापक अनुभव के आधार पर एकत्रित यह ज्ञान, चिकित्सकों एवं रोगी के परिवारजनों की जानकारी के लिए रोगी के ठीक होने और न होने की संभावना को व्यक्त करने के उद्देश्य से बताये गए हों,जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 


घर में लगाएं नाचते हुए श्रीगणेश का चित्र क्योंकि...

भगवान श्रीगणेश आदि व अनन्त हैं। पुरातन काल से ही भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले करने का विधान है। भगवान गणेश की पूजा कई रूपों में की जाती है जैसे- लंबोदर, शूपकर्ण, एकदंत आदि। भगवान गणेश के हर स्वरूप का अपना एक अलग महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन के दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता।

वास्तु शास्त्रियों की मानें तो घर में नाचते हुए गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। इस स्वरूप में भगवान गणेश अति प्रसन्न नजर आते हैं। इस तस्वीर से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है तथा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा स्वत: ही घर से बाहर चली जाती है। नाचते हुए गणेश की तस्वीर को देखने से मन प्रफुल्लित होता है तथा मन को शांति प्राप्त होती है जिससे घर में संपन्नता का वास होता है। यह तस्वीर घर में ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां बार-बार नजर आए जिससे कि इसका प्रभाव मनोमस्तिष्क पर बना रहे।


गणेश चतुर्थी: करें यह साधारण टोटका और बन जाएं धनवान

भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान और विवेक के साथ धन सुख देने वाले देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं। जहां आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपनी दरिद्रता से मुक्त होना चाहता है। वहीं धनी भी यही कामना करता है कि उसे कभी गरीबी का मुंह न देखना पड़े। इसलिए यहां हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा सरल टोटका जिससे न केवल धन लाभ होगा बल्कि आपको कभी धन का अभाव भी नहीं सताएगा।

टोटका

आंकड़े के पौधे में भगवान गणेश का वास माना जाता है। इसलिए इसकी जड़ बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी जाती है। खासतौर पर धन लाभ की दृष्टि से यह बहुत प्रभावी मानी गई है। अनेक तंत्र क्रियाओं में आंकड़े की जड़ का उपयोग होता है।

आंकड़े की जड़ को जलाएं। उसकी राख बना लें।  आंकड़े की इस भस्म से परिवार के हर सदस्य को टीका लगाएं। माना जाता है कि यह आंकड़े की भस्म का तिलक घर-परिवार में अपार धन लाभ देता है। जब भी आप आर्थिक तंगी से ज्यादा परेशान हो। इस भस्म का तिलक लगाएं।

इस तरह आंकड़े की जड़ बहुत ही शुभ और पवित्र मानी जाती है। यह श्री यानि सुख-समृद्धि देती है, जिससे जीवन में असुरक्षा का भाव मिटता है और ईश्वर में आस्था बढ़ती है।



पीपल का पेड़ दूर करेगा आपकी हर परेशानी

हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में पीपल का वृक्ष होता है उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती और सुख-शांति बनी रहती है। विज्ञान ने भी पीपल के वृक्ष के महत्व को माना है। यहां हम आपको बता रहे हैं पीपल के वृक्ष से जुड़े कुछ तंत्र उपाय, जिससे आपकी कई समस्याओं का निदान हो जाएगा।

उपाय

धन प्राप्ति के लिए

पीपल के पेड़ के नीचे शिव प्रतिमा स्थापित करके उस पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं और पूजन-अर्चन करें। कम से कम 5 या 11 माला मंत्र का जप(ऊँ नम: शिवाय) करें। कुछ दिन नियमित साधना के बाद परिणाम आप स्वयं अनुभव करेंगे। प्रतिमा को धूप-दीप से शाम को भी पूजना चाहिए।

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा करना शुभ होता है। पीपल के वृक्ष के नीचे नियमित रूप से बैठकर हनुमानजी का पूजन, स्तवन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

शनि दोष से बचने के लिए

शनि दोष निवारण के लिए भी पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। यदि रोज पीपल पर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है। शनिवार की शाम  पीपल के नीचे दीपक लगाएं और पश्चिममुखी होकर शनिदेव की पूजा करें तो और भी लाभकारी होता है।


मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।






नौकरी पाने का अचूक व आसान टोटका

वर्तमान में नौकरी पाना आसान नहीं रह गया है। जहां देखो वहां नौकरी पाने के लिए कतार लगी नजर आती है। योग्य होने के बाद भी नौकरी के लिए कई लोग भटकते रहते हैं। ऐसे में यदि कुछ साधारण टोटके किए जाएं तो नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

टोटका

शनिवार के दिन शनि महाराज की पहले विधिपूर्वक पूजा करें इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 1008 बार जप करें। पूर्ण रूप से अपने मन को एकाग्र कर श्रद्धापूर्वक जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा।

मंत्र

ओं नम: भगवती पद्मावती ऋद्धि-सिद्धि दायिनी

दु:ख-दारिद्रय हारिणी श्रीं श्रीं ऊँ नम:

कामाक्षय ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।

अब जब भी आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं तो पहले 11 बार इस मंत्र का जप कर लें। यदि रास्ते में कोई गाय नजर आ जाए तो उसे आटा-गुड़ खिला कर जाएं।