Saturday 27 August 2011

कुंडली में पितृ दोष होगा तो ऐसे सपने आएंगे।

सपनों का जीवन में विशेष महत्व है। सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। इनका अपना गोपनीय महत्व होता है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार रात में आने वाले सपनों पर कुंडली में बनने वाले दोषों का भी असर होता है। कुछ सपने ये इशारा कर देते हैं कि आपकी कुंडली में कौन सा दोष बन रहा है। इसी तरह कुछ सपने ऐसे होते है जो आपकी कुंडली में पितृ दोष होने का इशारा करते हैं।

पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति को अजीब अजीब सपने आते है। अगर किसी को पितृ दोष हो तो उसे सपने में सांप दिखाई देंगे चाहे सांप जिंदा हो या मरा हुआ हो।

अगर आप सपने में सांप से बच रहे हो या फिर उसे मार देते है तो आपको पितृ दोष है ऐसा समझ लेना चाहिए।

पितृ दोष होने पर जंगली जानवर भी सपने में दिखाई देते हैं। सपने में जंगली जानवरों का काटना भी पितृ दोष होने का संकेत देता है। अगर सपने में अपने ही घर या परिवार का मरा हुआ कोई सदस्य दिखाई देता है तो भी पितृ दोष है ऐसा जानना चाहिए। शास्त्रों और पुराणों में पितृओं के लिए सफेद रंग बताया गया है। इसलिए अगर  सपने में सफेद कपड़े पहने कोई व्यक्ति दिखें तो भी समझ लेना चाहिए कि आपको पितृ दोष है।

पितृओं के लिए चावल और दूध को आहार बताया गया है अगर सपने में चावल या दूध दिखे तब भी आपको समझना चाहिए की आपको पितृ दोष है। ऐसे सपने आना पितृ ऋण का सूचक  होते हैं।




हर इच्छा जल्द पूरी करेगा दुर्गासप्तशती का यह चमत्कारी मंत्र

इच्छाएं मात्र विचारों से पूरी नहीं होती, बल्कि सोच को व्यवहार में उतार कोशिशों से ही संभव है। जिसके लिए तमाम मानसिक ऊर्जा व शारीरिक शक्ति को जोड़कर व वक्त के साथ तालमेल बैठाकर लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना बेहतर उपाय है। यह व्यावहारिक रूप से शक्ति को साधकर इच्छा व सफलता को पाने का ही रास्ता है।

वहीं धार्मिक उपायों द्वारा शक्ति साधना से प्रयासों को सफल बनाने के लिए देवी उपासना का बहुत महत्व है। देवी भक्ति न केवल मनोवांछित बल्कि शीघ्र ही शुभ फल देने वाली मानी गई है। देवी साधना के लिए दुर्गासप्तशती या उसके चमत्कारी मंत्रों का स्मरण श्रेष्ठ के उपाय है।

शुक्रवार देवी उपासना का विशेष दिन होता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के अद्भुत मंत्रों में ही एक मंत्र जीवन से जुड़ी हर कामनापूर्ति जैसे धन, धान्य या संतान आदि के साथ उनमें आने वाली बाधाओं का भी अंत करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र और उसके स्मरण की आसान विधि -

- शुक्रवार को सुबह और शाम दोनों वक्त इस मंत्र का पाठ किया जा सकता है। स्नान के बाद देवी के किसी भी रूप की लाल वस्त्र पर विराजित मूर्ति या तस्वीर के सामने सुगंधित धूप व घी का दीप जलाकर माता को लाल चंदन लगाकर लाल फूल यथासंभव लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करें।

- मौसमी फल का भोग लगाएं और कामनापूर्ति की प्रार्थना के साथ नीचे लिखा दुर्गासप्तशती का मंत्र पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर लाल आसन पर बैठ बोलें या स्फटिक की माला से यथाशक्ति जप करें -

सर्वबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

-  मंत्र स्मरण या जप के बाद देवी की दीप व कर्पूर आरती कर क्षमाप्रार्थना करें।



शनिवार को ऐसे नहाएं, शनि से मिलेगा धन लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक मात्र ऐसा ग्रह बताया गया है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधा प्रभाव डालता है। एक समय में शनि की तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या चलती है। शनिदेव का स्वभाव क्रूर माना गया है। इसी वजह से अधिकांश लोगों को साढ़ेसाती और ढैय्या में कड़ी मेहनत करना होती है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ फल देने वाला होता है उसे किसी भी कार्य में आसानी से सफलता प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ राहु-केतु भी बुरा प्रभाव डालते हैं। पिता-पुत्र में अक्सर वाद-विवाद होता रहता है। परिवार में भी अशांति बनी रहती है और इसी वजह से व्यक्ति को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। साढ़ेसाती और ढैय्या के समय इस प्रकार की परेशानियां और अधिक बढ़ जाती हैं।

शनिदेव के बुरे प्रभावों से निजात पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिवार शनिदेव की आराधना के लिए खास दिन माना गया है। इस दिन शनि के निमित्त पूजन-कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। शनिवार को स्नान के संबंध में खास नियम बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद पूरे शरीर पर तेल लगाएं। तेल की मालिश करें। इसके बाद नहाने के पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर यह तेल शनिदेव को अर्पित कर दें या किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में लाभ प्राप्त होने लगेगा। धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी। इसके साथ ही घर-परिवार की समस्याओं से भी आजादी मिल जाएगी।




शिवजी के मंदिर जाएं तो पहले करें गणेशजी के दर्शन क्योंकि....

 
किसी भी मंदिर में भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है। हर व्यक्ति भगवान के मंदिर अनेक तरह की प्रार्थनाएं और समस्याएं लेकर जाता है। भगवान के सामने सपष्ट रूप से अपने मन के भावों को प्रकट कर देने से भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है। 

शिव मंदिर में जाने से पूर्व ध्यान रखें कि सबसे पहले किसे प्रणाम करना चाहिए? सभी शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश की प्रतिमा या कोई प्रतीक चिन्ह अवश्य ही रहता है, सबसे पहले इन्हीं श्री गणेशजी को प्रणाम करना चाहिए। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वेद-पुराण के अनुसार इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है।इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही की जाती है। किसी भी भगवान के मंदिर में जाए सबसे पहले भगवान गणपति का ही स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है और सभी देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है।


शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद लेना चाहिए या नहीं?

 
शिव को शंकर, भोले, महाकाल,  नीलकंठेश्वर और भी कितने ही नामों से पुकारा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनका लिंग के रूप में पूजन किया जाता है।



माना जाता है कि शिवजी ने कभी कोई अवतार नहीं लिया। मान्यता है कि शिवजी का शिवलिंग के रूप में पूजन करने से जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कई लोग नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना कर व कुछ लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग को नैवेद्य अर्पित करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।



अधिकांश लोग शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं क्योंकि उनके मन में यही भावना होती है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं। शिवपुराण के अनुसार जो बाहर व भीतर से शुद्ध है, उत्तम व्रत का पालन करने वाले हर व्यक्ति को शिव का चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।



शिव के नैवेद्य को देख लेने मात्र से ही कई दोष दूर हो जाते हैं। उसको देख लेने से करोड़ो पुण्य भीतर आ जाते हैं। स्फटिक शिवलिंग, रत्नजडि़त शिवलिंग, केसर निर्मित शिवलिंग आदि किसी भी तरह के शिवलिंग पर नैवेद्य चढ़ाने से और उसे ग्रहण करने से ब्रह्म हत्या करने का पाप भी नष्ट हो जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।







आयुर्वेद से जुड़ी ये बाते हैं अजीब लेकिन सच!

आयुर्वेद एक संपूर्ण विज्ञान है, जिसके कई पहलूओं को जानना आज के विज्ञान के लिए चुनौती है। आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के इन्द्रिय स्थान में किसी रोगी के ठीक होने के लक्षणों तथा मृत्यु सूचक लक्षणों को देखकर पहचानने का वर्णन है,जो बड़ा रोचक है ऐसे ही कुछ रोचक पहलूओं को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है:-

-यदि रोगी दही ,अक्षत,अग्नि,लड्डू ,बंधे हुए पशु, बछडे  के साथ गाय ,बच्चे के साथ स्त्री,सारस ,हंस,घी.सैंधा नमक ,पीली सरसों ,गोरोचन,मनुष्यों से भरी गाडी आदि देखता हो तो आरोग्य प्राप्त  करता है।

-रोगी द्वारा अच्छी सफ़ेद वस्तुओं को देखना,मधुर रस ,शंख ध्वनि सुनना आदि भी शीघ्र ठीक होने के लक्षण बताये गए हैं ।

 -ऐसे ही आयुर्वेद में स्वप्न से सम्बंधित अरिष्ट लक्षणों को भी बताया गया है-जैसे यदि व्यक्ति सपने में स्नान और चन्दन का लेप किया हुआ दिखे तहा मक्खियाँ उसके शरीर पर बैठी हों तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त होगा ऐसा वर्णित है।

-ऐसे ही जो व्यक्ति स्वयं को सपने में नग्न देखता है,तथा संपूर्ण शरीर में घृत लगाया हुआ ,तथा जिस अग्नि में  ज्वाला नहीं है उसमें हवन करता हुआ देखता है वैसे व्यक्ति के असाध्य त्वचा रोगों से पीडि़त होकर मृत्यु क ी संभावना बतायी गयी है।

-जो व्यक्ति हमेशा ध्यान में रहे तथा श्रम न करने पर भी थकान महसूस करे ,बिना कारण बैचैन हो,जहां मोह नहीं करना चाहिए वहां मोह करे,पूर्व में क्रोधी न हो पर अचानक क्रोधी स्वभाव का हो जाय,मूर्छा एवं प्यास से पीडि़त हो तो समझें वह मानसिक रोग से पीडि़त हो जाएगा।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में कुत्ते ,ऊंट क़ी  सवारी करता हुआ दक्षिण दिशा क़ी ओर जाता हो तथा विचित्र प्रकार की आकृतियों  के साथ मदिरा पान करता हुआ स्वयं को देखता हो तो वह रोगों के समूह यक्ष्मा से पीडि़त होगा ,ऐसा वर्णित है।

-यदि व्यक्ति किसी जल भरे तालाब या नदी में जहां जाल नहीं बिछाया गया है जाल देखता है तो उसकी मृत्यु निश्चित है, ऐसा जानें।

-यदि रोगी के उदर पर सांवली,ताम्बे के रंग क़ी ,लाल,नीली ,हल्दी के तरह क़ी रेखाएं उभर जाएँ तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।

-यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड जाएँ तथा उसे वेदना न हो तो रोगी क़ी आयु पूर्ण हो गयी है, ऐसा मानना चाहिए।

 - व्यक्ति  स्वप्न में अपने शरीर पर लताएं उत्पन्न देखे  और पछी  उसपर घोंसले बनाकर रहे हुए दिखें तो उसके जीवन में संदेह है इसी प्रकार यदि स्वप्न में व्यक्ति यदि अपना बाल उतरा हुआ देखे तो भी वह रोगी होगा  ऐसा उल्लेखित है।

-जिस व्यक्ति का श्वांस छोटा चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शान्ति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में पर्वत ,हाथी घोड़े पर स्वयं को या अपने हितैषियों को चढ़ते हुए देखता है,साथ ही समुद्र या नदी में तैरते हुए उसको पार करता हुआ देखता है ,चन्द्रमा,सूर्य एवं अग्नि  को प्रकाशित देखता है  तो वह आरोग्य को प्राप्त होगा।

-इसी प्रकार व्यक्ति का थूक या मल पानी में डूब जाय तो आयुर्वेद के ऋषियों केअनुसार उसकी मृत्यु निश्चित मानना चाहिए।

संभवत: आयुर्वेद के मनीषियों द्वारा व्यापक अनुभव के आधार पर एकत्रित यह ज्ञान, चिकित्सकों एवं रोगी के परिवारजनों की जानकारी के लिए रोगी के ठीक होने और न होने की संभावना को व्यक्त करने के उद्देश्य से बताये गए हों,जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 


घर में लगाएं नाचते हुए श्रीगणेश का चित्र क्योंकि...

भगवान श्रीगणेश आदि व अनन्त हैं। पुरातन काल से ही भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले करने का विधान है। भगवान गणेश की पूजा कई रूपों में की जाती है जैसे- लंबोदर, शूपकर्ण, एकदंत आदि। भगवान गणेश के हर स्वरूप का अपना एक अलग महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन के दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता।

वास्तु शास्त्रियों की मानें तो घर में नाचते हुए गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। इस स्वरूप में भगवान गणेश अति प्रसन्न नजर आते हैं। इस तस्वीर से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है तथा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा स्वत: ही घर से बाहर चली जाती है। नाचते हुए गणेश की तस्वीर को देखने से मन प्रफुल्लित होता है तथा मन को शांति प्राप्त होती है जिससे घर में संपन्नता का वास होता है। यह तस्वीर घर में ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां बार-बार नजर आए जिससे कि इसका प्रभाव मनोमस्तिष्क पर बना रहे।


गणेश चतुर्थी: करें यह साधारण टोटका और बन जाएं धनवान

भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान और विवेक के साथ धन सुख देने वाले देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं। जहां आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपनी दरिद्रता से मुक्त होना चाहता है। वहीं धनी भी यही कामना करता है कि उसे कभी गरीबी का मुंह न देखना पड़े। इसलिए यहां हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा सरल टोटका जिससे न केवल धन लाभ होगा बल्कि आपको कभी धन का अभाव भी नहीं सताएगा।

टोटका

आंकड़े के पौधे में भगवान गणेश का वास माना जाता है। इसलिए इसकी जड़ बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी जाती है। खासतौर पर धन लाभ की दृष्टि से यह बहुत प्रभावी मानी गई है। अनेक तंत्र क्रियाओं में आंकड़े की जड़ का उपयोग होता है।

आंकड़े की जड़ को जलाएं। उसकी राख बना लें।  आंकड़े की इस भस्म से परिवार के हर सदस्य को टीका लगाएं। माना जाता है कि यह आंकड़े की भस्म का तिलक घर-परिवार में अपार धन लाभ देता है। जब भी आप आर्थिक तंगी से ज्यादा परेशान हो। इस भस्म का तिलक लगाएं।

इस तरह आंकड़े की जड़ बहुत ही शुभ और पवित्र मानी जाती है। यह श्री यानि सुख-समृद्धि देती है, जिससे जीवन में असुरक्षा का भाव मिटता है और ईश्वर में आस्था बढ़ती है।



पीपल का पेड़ दूर करेगा आपकी हर परेशानी

हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में पीपल का वृक्ष होता है उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती और सुख-शांति बनी रहती है। विज्ञान ने भी पीपल के वृक्ष के महत्व को माना है। यहां हम आपको बता रहे हैं पीपल के वृक्ष से जुड़े कुछ तंत्र उपाय, जिससे आपकी कई समस्याओं का निदान हो जाएगा।

उपाय

धन प्राप्ति के लिए

पीपल के पेड़ के नीचे शिव प्रतिमा स्थापित करके उस पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं और पूजन-अर्चन करें। कम से कम 5 या 11 माला मंत्र का जप(ऊँ नम: शिवाय) करें। कुछ दिन नियमित साधना के बाद परिणाम आप स्वयं अनुभव करेंगे। प्रतिमा को धूप-दीप से शाम को भी पूजना चाहिए।

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा करना शुभ होता है। पीपल के वृक्ष के नीचे नियमित रूप से बैठकर हनुमानजी का पूजन, स्तवन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

शनि दोष से बचने के लिए

शनि दोष निवारण के लिए भी पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। यदि रोज पीपल पर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है। शनिवार की शाम  पीपल के नीचे दीपक लगाएं और पश्चिममुखी होकर शनिदेव की पूजा करें तो और भी लाभकारी होता है।


मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।






नौकरी पाने का अचूक व आसान टोटका

वर्तमान में नौकरी पाना आसान नहीं रह गया है। जहां देखो वहां नौकरी पाने के लिए कतार लगी नजर आती है। योग्य होने के बाद भी नौकरी के लिए कई लोग भटकते रहते हैं। ऐसे में यदि कुछ साधारण टोटके किए जाएं तो नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

टोटका

शनिवार के दिन शनि महाराज की पहले विधिपूर्वक पूजा करें इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 1008 बार जप करें। पूर्ण रूप से अपने मन को एकाग्र कर श्रद्धापूर्वक जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा।

मंत्र

ओं नम: भगवती पद्मावती ऋद्धि-सिद्धि दायिनी

दु:ख-दारिद्रय हारिणी श्रीं श्रीं ऊँ नम:

कामाक्षय ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।

अब जब भी आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं तो पहले 11 बार इस मंत्र का जप कर लें। यदि रास्ते में कोई गाय नजर आ जाए तो उसे आटा-गुड़ खिला कर जाएं।

नाक के पास छोटा सा तिल बना देता है मालामाल

तिल, छोटे-छोटे काले रंग के होते हैं जो कि सामान्यत: सभी लोगों के शरीर पर होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह तिल अलग-अलग अंगों पर हमारे भविष्य के संबंध में अलग-अलग इशारे करते हैं। कुछ अंगों पर तिल बहुत शुभ होते हैं तो कुछ अंगों पर तिल होना अशुभ माना जाता है।

इस संबंध में स्त्रियों और पुरुषों के लिए अलग-अलग मान्यताएं हैं। पुरुषों के लिए दाएं अंग पर तिल होना शुभ है जबकि स्त्रियों के लिए बाएं अंग पर तिल शुभ माना गया है।

यदि किसी व्यक्ति की नाक के दाहिने भाग पर तिल है तो इसे ज्योतिष के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे तिल वाला इंसान सुखी और मालामाल होता है। इसे जीवनभर धन की कमी नहीं होती है। जबकि नाक के बाएं हिस्से पर तिल हो तो व्यक्ति को जीवनभर कड़ी मेहनत करना पड़ती है। कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कठिनाई से सफलता प्राप्त होती है।

जिन लोगों के नाक के मध्य तिल होता है वे अक्सर यात्राएं ही करते रहते हैं। ऐसा व्यक्ति स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।


बिल्वपत्र वृक्ष की इस मंत्र के साथ करें पूजा..खूब बरसेगी लक्ष्मी

हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक बिल्वपत्र में शिव का वास माना गया है। बिल्वपत्र से शिव की पूजा भी पापनाशक मानी गई है। वहीं एक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बिल्वपत्र की पूजा लक्ष्मी कृपा से ऐश्वर्य और धनसंपन्न बनाने वाली भी है। क्योंकि माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई तो लक्ष्मी का स्वामी बनने को लेकर देव-दानवों में संघर्ष हुआ। उस दौरान देवी ने बिल्वपत्र वृक्ष में समय बिताया और बाद में श्रीहरि विष्णु को अपना स्वामी चुना। इसलिए बिल्वपत्र श्रीवृक्ष के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।

यही कारण है कि देवी व शिव उपासना के विशेष दिनों नवमी व चतुर्दशी तिथि पर विशेष मंत्रों के साथ बिल्वपत्र पूजा पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाली बताई गई है। यह पूजा लक्ष्मी कृपा की कामना से हर रोज भी शुभ है।

जानते हैं विशेष मंत्र के साथ बिल्वपत्र पूजा का आसान उपाय-

- सुबह स्नान के बाद लाल या सफेद वस्त्र पहन बिल्वपत्र के वृक्ष की पूजा में चंदन, फूल व फूल माला, फल, वस्त्र, तिल, अनाज अर्पित करें। धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा मंत्र बोल बिल्वपत्र वृक्ष की पूजा करें - 

श्रीनिवास नमस्तेस्तु श्रीवृक्ष शिववल्लभ।

ममाभिलषितं कृत्वा सर्वविघ्रहरो भव।।

- मंत्र पूजा के बाद लक्ष्मी कृपा की कामना के साथ शिव आरती या लक्ष्मी आरती भी करें और बिल्वपत्र की परिक्रमा करें। यथासंभव इस दिन बिना नमक का भोजन कर मौन व्रत रखें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।



बोलें शनि की बहन 'भद्रा' का 12 नाम मंत्र..शुभ काम में न आएगी अड़चनें

किसी शुभ या मंगल कार्य को शुरू करने से पहले पंचांग में भद्रा या विष्टि योग भी देखा जाता है। यह तिथि के आधे भाग करण का ही एक नाम है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है। जिसके क्रूर स्वभाव पर काबू पाने के लिए ब्रह्मदेव की कृपा से उसे करण में विष्टि नाम से स्थान दिया गया। इसे अशुभ घड़ी भी माना जाता है।

भद्रा योग के दौरान कार्य विशेष शुभ नहीं माने जाते। जिनमें यात्रा, कारोबार, कृषि, मांगलिक कार्य आदि प्रमुख है। वहीं तंत्र, अदालती कार्य या राजनीति सफल होती है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक भद्रा तीन लोकों में घूमने के दौरान जब पृथ्वी पर होती है तो इस स्थिति में अमंगल करती है। भू-लोक में होने की पहचान चंद्रमा के कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होने के द्वारा की जाती है। इसे विष्टिकरण योग भी कहा जाता है। रक्षाबंधन या होलिका दहन के वक्त इस पर विशेष रूप से गौर किया जाता है।

भद्रा के अशुभ प्रभाव से रक्षा वैसे तो व्रत आदि के विधान बताए गए हैं, किंतु आसान उपायों में सुबह भद्रा के 12 नाम मंत्र का स्मरण कार्यसिद्धि के साथ विघ्र, रोग, भय को दूर कर ग्रहदोषों को भी शांत करने वाला माना गया है। जानते हैं भद्रा योग के दौरान बोले जाने वाला मंत्र विशेष -

धन्या दधिमुखी भद्रा महामारी खरानना। कालरात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुलपुत्रिका।

भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयंकरी। द्वादशैव तु नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।

न च व्याधिर्भवेत् तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते। ग्रह्य: सर्वेनुकूला: स्युर्न च विघ्रादि जायते।।



बोलें सिर्फ 2 हनुमान मंत्र, शुरू हो जाएगा सफलता का सफर

इंसान में बल हो, बुद्धि भी हो किं तु विवेक की कमी से निर्णय क्षमता कमजोर हो तो वक्त आने पर सही-गलत का फैसला न कर पाने और सक्रिय न होने से शक्ति और ज्ञान बेकार हो जाता है।

शास्त्रों में श्री हनुमान की उपासना बल, बुद्धि और विद्या देने वाली ही मानी गई है। श्री हनुमान इसी बात के आदर्श है कि जब-जब संकट आया उन्होनें तुरंत सक्रियता दिखाई और सही निर्णय लिये। चाहे वह सीता की खोज हो, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने की बात हो या राम-लक्ष्मण को अहिरावण से छुड़ाना।

जोश, उत्साह और ऊर्जा बनाये रख सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाना है तो श्री हनुमान की उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। मंगलवार का दिन श्री हनुमान उपासना के लिये बहुत ही मंगलकारी माना गया है। जिसके लिये यहां बताए जा रहे हैं मात्र 2 मंत्र बहुत ही असरदार भी माने गए हैं।

- मंगलवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा पर सिंदूर या लाल चंदन, नारियल, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर नीचे लिखें दो मंत्रो का यथाशक्ति जप करें -

- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:।

- ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नम:।

- इन मंत्रों के स्मरण के बाद श्री हनुमान की दीप-कर्पूर आरती कर विघ्र, बाधा को दूर कर सफल जीवन की कामना करें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


इस मंत्र से गाय को छू लें..पैसा, गाड़ी हो या मकान, हर इच्छा होगी पूरी

हिन्दू धर्मशास्त्र हर प्राणी मात्र में देव दर्शन का संदेश देते हैं। यह ईश्वर रूप प्रकृति रूपी शक्ति के सम्मान द्वारा सभी प्राणियों के लिए हित का श्रेष्ठ उपाय भी है। प्रकृति पूजा की इसी कड़ी में गाय भी देव प्राणी के रूप में पूजनीय है। धार्मिक मान्यताओं में गाय में देवी-देवताओं का वास माना जाता है। व्यावहारिक रूप से भी गाय से मिलने वाला हर पदार्थ चाहे वह दूध हो या मूत्र रोग व शोक का अंत करने वाला होता है।

धर्मग्रंथों में भी सभी मनोरथ सिद्ध करने वाली और देवशक्तियों से पूर्ण कामधेनु गाय भी पूजनीय बताई गई है। यही कारण है कि गोपूजा मंगलदायी व समस्त सांसारिक इच्छाओं को शीघ्र पूरी करने वाली बताई गई है।

अगर आप भी व्यस्त जीवन में देव पूजा के लंबे विधान न अपना पाएं तो हर रोज गो पूजा के आसान उपाय द्वारा धन, वाहन, मकान जैसी जीवन से जुड़ी हर इच्छा को पूरी कर सकते हैं। जानें गो पूजा की सरल विधि व मंत्र विशेष-

- सुबह स्नान के बाद गाय पर गंगाजल छिड़कर गंध, अक्षत, फूल चढ़ाकर गाय के घी के दीप से नीचे लिखा मंत्र बोल पूजा करें -

ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:।

प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट नमो नम: स्वाहा।।

इस मंत्र पूजा के बाद गोमाता को भोजन का ग्रास खिलाएं और परिक्रमा कर नीचे लिखे मंत्र से कामनापूर्ति और क्षमाप्रार्थना करें -

ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।

मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।

- यथासंभव गो पूजा दोपहर में भोजन बनने के बाद पहला ग्रास गौ को देकर करना बहुत ही शुभ मानी गई है।





धन की कामना है तो इस दिशा में मुंह रख बोलें मंत्र

देव या इष्ट सिद्धि के लिए मंत्र जप का विशेष महत्व है। मंत्र जप न केवल कामनापूर्ति के श्रेष्ठ साधन है, बल्कि यह देवीय व आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा मन व शरीर को ऊर्जावान, एकाग्र व संयमशील भी बनाते हैं। जिसका लाभ चरित्र, स्वभाव और व्यवहार में अनुशासन व अच्छे बदलावों के रूप में प्राप्त होता है।

बहरहाल, मंत्र जप के सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के नजरिए से बात करें तो शास्त्रों में अलग-अलग आठ दिशाओं में मुख कर देव विशेष के मंत्र जप से विशेष फल प्राप्ति के बारे में बताया गया है। जानते हैं किस दिशा में मुंह करके जप करने से कौन-सा फल मिलता है -

- सामान्य तौर पर उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह कर किसी भी मंत्र जप के लिए शुभ है।

- विशेष इच्छाओं के संदर्भ में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप से वशीकरण सिद्ध होता है।

- पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना को पूरी करता है।

- उत्तर दिशा की ओर मुख कर मंत्र जप से सुख-शांति मिलती है।

- दक्षिण दिशा में मुंह कर मंत्र जप मारण सिद्धी देता है।

- उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य दिशा की ओर मुख कर जप शत्रु व विरोधियों का नाश,

- उत्तर-पूर्व यानी ईशान दिशा में मुंह कर मंत्र जप ज्ञान,

- दक्षिण-पूर्व यानी आग्रेय दिशा में मुख कर मंत्र जप आकर्षण, सौंदर्य कामना और,

- दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य दिशा में मुख कर मंत्र जप पवित्र विचार व दर्शन की कामना को पूरा करता है।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।



वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।


बड़ी सफलताओं के द्वार खोल देता है यह छोटा-सा गणेश मंत्र

जीवन में दु:ख और निराशा से बचना है तो हमेशा आगे बढऩे का जज्बा बनाए रखना बहुत जरूरी है। बस, यही एक सूत्र थाम लें, तो किसी भी बुरी से बुरी हालात से दो-चार होकर उसे मात देना आसान हो जाता है। इस तरह जीवन के हर दिन, हर कदम पर किसी न किसी रूप में जीत व सफलता मायने रखती है। किंतु इसके लिए ज्ञान और गुण संपन्नता भी बहुत जरूरी है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में इन दो खूबियों के दाता भगवान श्री गणेश को ही माना गया है। भगवान गणेश बुद्धिदाता, गुणदाता, ज्ञानप्रदाता हैं। बुधवार को शास्त्रों में बताए एक छोटे-से गणेश मंत्र विशेष का स्मरण बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से भेद सफलतम बनाने वाला माना गया है। जानें इसी मंत्र विशेष व पूजा, जप की आसान विधि -

- बुधवार के दिन किसी भी वक्त किंतु स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें।

- पूजा में श्री गणेश को लाल चन्दन, कनेर के फूल, दूर्वा चढ़ाएं व मोदक का भोग लगाएं।

- धूप बत्ती और घी का दीप लगाकर पूर्व दिशा में लाल आसन पर बैठ मूंगे या चन्दन की माला से नीचे लिखा गणेश मंत्र कम से कम 108 बार बोलें। विधान अनुसार सवा लाख जप शीघ्र फलदायी होता है। सुविधानुसार यह जपसंख्या लगातार 10 दिन या बुधवार व चतुर्थी के दिनों में पूरा कर सकते हैं -

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

- मंत्र जप के बाद क्षमाप्रार्थना कर श्री गणेश की आरती के साथ मनचाही सफलता की कामना करें। यथाशक्ति कन्याभोज कराएं।




















 

Thursday 25 August 2011

ये सपने आते क्यों है?

सपने आते क्यों है? इस प्रश्र का कोई ठोस प्रमाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है। जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांसपेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। सपने हमारी याददाश्त को भी बढ़ाते हैं।



ज्योतिष के अनुसार सपने हमारे मन के प्रश्रो के उत्तर देते हैं। हमें कई बार कार्यों के प्रति सचेत भी कर सकते हैं। सपने हमारे आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में ईशारा करते हैं। कहते हैं यदि स्वप्र संकेतों पर ध्यान दिया जाए। उन्हें लिखकर बारिकी से विश्लेषण किया जाए तो आप पाएंगे कि सपने आपके आने वाले कल की घटनाओं की और पहले से ही ईशारा कर देते हैं। इसलिए अपने सपनों को समझना चाहिए। सपनें देखना और समझना अपने आपको समझने जैसा है।

एक पत्ता रोज, पैसों के साथ मिलेगा अच्छा जीवन...

धन या पैसा आज के समय सभी के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है। पैसों का महत्व इस बात से साफ प्रतीत होता है कि  पैसा सबकुछ नहीं है लेकिन बहुत कुछ है।





कोई भी व्यक्ति हो, अमीर या गरीब, सभी को धन की आवश्यकता है। पैसों का काम केवल पैसा ही कर सकता है। इसी वजह से हम अपने स्तर पर अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयास करते हैं। ताकि हमारे घर-परिवार के सदस्यों को अभाव का जीवन न जीना पड़े।




ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में धन प्राप्ति के अचूक उपाय बताए गए हैं। धन के लिए देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना सबसे जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह बाधाओं के चलते धन प्राप्ति के योग नहीं हैं तो उन ग्रह दोषों का उचित उपचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा रहता है वहां दरिद्रता नहीं रहती।




तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसकी प्रतिदिन पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जिससे घर के सदस्यों की आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही वास्तु के अनुसार भी तुलसी का पौधा घर में होने से कई प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।




आयुर्वेद के अनुसार एक तुलसी का पत्ता प्रतिदिन खाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ बना रहता है। इसके अलावा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। तुलसी पूजन के बाद एक पत्ता प्रसाद स्वरूप प्रतिदिन खाने से हमारी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। आय के सभी स्रोतों से फायदा प्राप्त होता है।

जब आपको हो ऐसी परेशानियां तब केवल नीले फूल बहा दे नदी में...

सामान्यत: परेशानियां सभी के जीवन में हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग प्रकार की परेशानियों के लिए अलग-अलग ग्रह जिम्मेदार होते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति ही हमें सुख और दुख प्रदान करती है।

ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह बताए गए हैं जिनमें शनिदेव को न्यायाधिश माना गया है। इसी वजह से शनि को क्रूर ग्रह बताया गया है। यह हमारे कर्मों के अनुसार ही हमें अच्छा या बुरा फल प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे घर-परिवार से सुख-शांति नहीं मिलती है। पिता-पुत्र में वाद-विवाद चलता रहता है। व्यवसाय में हानि होती है। इसके साथ उस व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा तथा झूठ बोलने वाला होता है। पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करनी होती है फिर भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं होता। यदि आपके साथ भी ऐसी ही शनि ग्रह से जुड़ी परेशानियां चल रही हों तो किसी बहती नदी में नीले रंग के फूल बहाएं। यह उपाय प्रति शनिवार किया जाना चाहिए। फूल बहाते समय शनिदेव से सुख और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

शनि का संबंध में नीले रंग से बताया गया है अत: नीले फूल इन्हें अत्यंत प्रिय माने गए हैं। इसी वजह से नीले फूल शनि देव के निमित्त बहाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुख या परेशानियों को दूर कर देते हैं।




पहले ये चमत्कारी शब्द लिखें, फिर शुरू करें खास काम

आमतौर विशेष पूजा के बाद घरों के बाहर मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ और लाभ लिखा जाता है। हर मांगलिक कार्य में स्वस्तिक बनाया जाता है, इसी के साथ शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे महालक्ष्मी सहित श्री गणेश भी प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से यदि आप को पेपर वर्क प्रारंभ कर रहे हैं तो सबसे पहले श्री गणेशाय नम: लिखें या शुभ-लाभ लिखें या स्वस्तिक बनाएं।

शास्त्रों अनुसार गणेशजी के दो पुत्र माने गए हैं, एक क्षेम अर्थात शुभ और दूसरे पुत्र का नाम है लाभ। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से की जाती है। शुभ (क्षेम) लिखने का का अर्थ है कि हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे।

लाभ लिखने का अर्थ है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे। श्री गणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय या आय प्राप्ति स्रोत सदैव बढ़ते रहे। 



पीली कौड़ी जेब में रखों, हो जाओगे मालामाल...

आज सभी चाहते हैं उनकी जेब हमेशा ही पैसों से भरी रहे और धन से जुड़ी समस्याएं उनसे दूर रहे। पैसा कमाने के लिए सभी अपने-अपने स्तर में खूब मेहनत करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं उन्हें ज्यादा धन प्राप्त हो पाता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष योग होते हैं जिनसे व्यक्ति को जीवन में कभी पैसों की कमी नहीं रहती।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव देने वाला है तो उसकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुंडली में अशुभ ग्रह को ठीक करने के लिए सही उपचार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना भी श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। महालक्ष्मी की कृपा के बाद भक्त को कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है।

नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही एक अन्य उपाय अपनाएं। जिससे निश्चित ही कुछ दिनों में पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

किसी भी शुभ मुहूर्त में बाजार से दो पीली कौड़ी लेकर आएं। यह किसी भी पूजन सामग्री की दुकान पर आसानी से मिल जाती है। घर आकर किसी विशेष दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म आदि करने के बाद महालक्ष्मी के पूजन की तैयारी करें। पूजन में देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति रखें। मूर्ति के साथ ही दोनों पीली कौडिय़ों को रखें। अब विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा करें। पूजन के बाद दोनों पीली कौडिय़ों को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधे। अब एक कौड़ी घर में वहां रखें जहां पैसा रखते हैं। दूसरी कौड़ी अपने साथ अपनी जेब में हमेशा रखें। ध्यान रहे कौड़ी साथ रखने के बाद अधार्मिक कार्यों से खुद को बचाकर रखें। अन्यथा यह उपाय निष्फल हो जाएगा।



दिमाग चलता है लेकिन पैसा नहीं कमा पाते ऐसे लोग...

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य की स्थिति के संबंध में अब तक आपने जाना कि सूर्य प्रथम से लेकर दशम भाव में क्या-क्या फल प्रदान करता है... अब जानिए सूर्य यदि ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसमें सूर्य ग्यारहवें भाव में स्थित है तो व्यक्ति को पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करना पड़ती है। ग्यारहवां भाव यानि कुंभ राशि का स्वामी शनि है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शनि में शत्रुता है। अत: इसी वजह से कई बुरे फल भी प्राप्त होते हैं। इस भाव से सूर्य अपनी सातवी दृष्टि से खुद की राशि सिंह में देख रहा है। यह पंचम भाव विद्या तथा संतान से संबंधित होता है। अत: व्यक्ति को शिक्षा और संतान के संबंध में विशेष शक्ति प्राप्त होगी।

ऐसा व्यक्ति अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए कटु वचनों का उपयोग करने वाला होता है। इन लोगों का दिमाग बहुत तेज चलता है और वे शारीरिक श्रम भी बहुत अच्छे से करते हैं लेकिन पैसा जुटाने में इन्हें हमेशा ही परेशानियां उठाना पड़ती है।

आगे पढि़ए मेष लग्न की कुंडली में सूर्य यदि बाहरवें भाव में हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...


जब हाथों मे ये रेखा टूटी या कटी हो तो सावधान रहें...

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हमारी हथेली में कई रेखाएं होती हैं जो हमारे जीवन की अलग-अलग बातों को प्रभावित करती हैं। ये रेखाएं जितनी स्पष्ट और दोष रहित होती हैं उतना ही अच्छा माना जाता है। मुख्य रूप से सभी की हथेली में ये तीन रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा स्पष्ट दिखाई देती हैं। इन तीनों में भी जीवन रेखा का काफी गहरा महत्व है।

हमारी हथेली में जैसी जीवन रेखा होती हैं हमारा जीवन ठीक वैसा ही चलता है। यदि ये रेखा अन्य छोटी-बड़ी रेखाओं से कटी हुई या टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। जितनी लंबी जीवन रेखा होती है उतना ही लंबा हमारा जीवन होता है। यदि यह रेखा कहीं से टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में जीवन रेखा के अनुसार आयु की गणना के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां जीवन रेखा टूटी है उस आयु में व्यक्ति को किसी गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।

यदि जीवन रेखा अन्य छोटी-छोटी रेखाओं से कटी हुई है तो जहां से जीवन रेखा कटी हुई है उस आयु में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो जीवन रेखा के टूटने का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।कहां होती है जीवन रेखा?

हथेली में सामान्यत: तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। इनमें से जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है वहीं जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है।



बहुत कुछ बताता है चेहरे का काला तिल

चेहरे का तिल किसी भी खूबसूरत चेहरे की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है लेकिन तिल सिर्फ चेहरे को आकर्षक ही नहीं बनाते है बल्कि किसी व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य भी बताते हैं। चेहरे के हर भाग पर तिल का अपना प्रभाव है। किसी के भी गालों या अधरों पर काला तिल उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देता है।



- यदि किसी के दोनों आई ब्रो के बीच तिल हो तो ऐसा व्यक्ति लोगों का भला करने वाला और दिल का सच्चा होता है।



- सिर के राइट साइड में पाया जाने वाल तिल समाज में मान-प्रतिष्ठा दिलाने वाला होगा।



- मस्तक पर बीच में पाया जाने वाला तिल उस जातक की फाइनेंशियल कंडीशन को मजबूत बनाता है।



- गले पर दिखाई पड़ने वाला तिल उस जातक को तेज दिमाग का, पैसा कमाने में सफल व तरक्की करने वाला होता है।



- ठोड़ी पर पाया जाने वाला तिल व्यक्ति को स्वार्थी व समाज से कटा हुआ बनाता है।



- राइट गाल पर तिल उन्नतिशील और मेघावी होने की सूचना देता है।



- लेफ्ट गाल पर तिल शुभ नहीं माना जाता है, ऐसा तिल गृहस्थ जीवन में धन का अभाव बताता है।



- नाक के सीधे भाग पर तिल सुखी, धन संपन्न और नाक के लेफ्ट हिस्से पर तिल मेहनती , कठिनाई से सफलता का सूचक होता है।



- नाक के मध्य तिल हो तो ऐसा जातक स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।



- दाएँ हाथ पर तिल शुभ व बाएँ हाथ की हथेली में तिल फिजूल खर्च का सूचक होता है।



इस प्रकार तिल भी शुभ-अशुभता के संकेत देते हैं। महिलाओं में लेफ्ट साइड पर तिल शुभ होता है जबकि पुरुषों में राइट साइड पर तिल शुभ होता है।

मुठ्ठी में बंद होने वाला हर तिल नहीं होता शुभ

शरीर पर तिलों का बहुत महत्व है। कई मान्यताएं हमारे यहां प्राचीन काल से चली आ रही हैं। ऐसी ही एक मान्यता तिल के बारे में भी है। साधारणत: यह माना जाता है कि हथेली में तिल शुभ होता है। जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।

- सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।

- बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।

- लिटिल फिंगर के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।






























Friday 19 August 2011

वशीकरण का सबसे आसान तरीका

यूं तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। इसीलिये, आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सकें। आजकल हर इंसान शार्टकट के जुगाड़ में लगा रहता है।


पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है-- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जो कि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट छवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।



यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दिखने लगते हैं।


क्या आपको धन हानि होती रहती है तो यह करें

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लगातार धन की हानि होती रहती है। हालांकि इसका कोई विशेष कारण नहीं होता लेकिन जन्म कुंडली के आधार पर इसका कारण जरुर जाना जा सकता है। इस समस्या से बचने के उपाय इस प्रकार हैं-

उपाय

- प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। दुर्वा आवश्यक रूप से चढ़ाएं।

- बहते जल में 9 गुरुवार तक लगातार 9 चमेली के फूल प्रवाहित करें।

- गुरुवार के दिन केतकी की जड़ का अंश सोने या तांबे के ताबीज में बंद करके पीले धागे में बाँधकर गले में धारण करें।

- किसी गुरुवार के दिन पीले वस्त्र मंदिर में दान करें।

- पीला कनेर का पुष्प रोज गुरु की प्रतिमा या चित्र पर चढ़ाकर धूपबत्ती जलाएं।

- प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।

इस उपाय से होगा चट मंगनी-पट ब्याह

यदि किसी के विवाह में देरी हो जाए तो उसके माता-पिता को चिंता सताने लगती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेटी के विवाह में देरी से ही माता-पिता चिंतित होते हैं। यदि बेटे की शादी में भी देरी हो जाए तो माता-पिता का चिंतित होना स्वभाविक है। यहां हम आपको बता रहा हैं एक ऐसा उपाय जिससे आपकी इस चिंता का निदान हो जाएगा।

उपाय

गुरुवार शुक्लपक्ष का हो उस दिन सुबह सूर्य निकलने के बाद स्नान आदि करके व पूजा करने के बाद एक नया पीला कपड़ा लें और उसमें पीली धातु(पीतल या सोना), चने की दाल, पीली मिठाई अथवा पीला गुड़, पीला रंग में रंगा हुआ यज्ञोपवित, पीले फूल और हल्दी की साबूत गांठ लेकर बांध लें। इसके बाद अपने इष्ट भगवान का स्मरण करते हुए इस पोटली को घर के ऐसे हिस्से में रखें जहां इस पर किसी न नजर न पड़े और न ही इसे कोई छू सके। इसके बारे में किसी को बताएं भी नहीं। प्रतिदिन इस पोटली की पूजा करते रहें। जिस व्यक्ति के विवाह के लिए आप यह उपाय करें, उसके विवाह के बाद इस पोटली की पूजा करके इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से विवाह संबंधी आपकी समस्या जल्दी ही दूर हो जाएगी।




इसे कहते हैं हर समस्या का रामबाण उपाय

 
जीवन में हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ परेशानियां स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं जबकि कुछ समस्याओं के निदान के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते हैं। तंत्र शास्त्र के माध्यम से जीवन की कई समस्याओं का निदान किया जा सकता है। गोमती चक्र एक ऐसा पत्थर है जिसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में किया जाता है। यह बहुत ही साधारण सा दिखने वाला पत्थर है लेकिन इसका यह बहुत प्रभावशाली है। इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-

1- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।

2- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।

3- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।

4- यदि पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।

5- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

6- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।

7- यदि गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।



आज इस टोटके को करने से होगा धन लाभ

जीवन में कई तरह की मुश्किलें आती हैं। व्यक्ति हर तरह की मुसीबतों से जुझता हुआ आगे बढ़ता जाता है लेकिन धन का अभाव एक ऐसी समस्या है जिससे जुझते हुए जीवन बिताना सबसे मुश्किल काम है। धन की कमी से उबरने और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए सावन में शिव की आराधना से सरल कोई और उपाय नहीं है। धन से जुड़ी समस्या से निजात पाने के लिए सावन मास के किसी शुक्रवार को यह साधारण टोटका करें-

टोटका

श्रावण मास के किसी शुक्रवार को यथाशक्ति (जितना संभव हो) चावल भगवान शिव मंदिर ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों में जितने चावल आ जाएं उतने शिवजी को अर्पण कर दें और भगवान शिव से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। जितने अक्षत के दानें शिवजी को अर्पण किए जाते हैं, उसका उतने ही हजार गुना फल मिलता है। अब बचा हुआ चावल गरीबों में बांट दें। यह धन प्राप्ति का अचूक उपाय है।







मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।





जब हो पैसों की कमी तब करें यह टोटके

तंत्र शास्त्र में कई विशेष प्रकार के पत्थरों का भी महत्व है। इन पत्थरों से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। हकीक एक ऐसा ही चमत्कारीक पत्थर है। हकीक का प्रयोग विभिन्न टोटकों एवं प्रयोगों में किया जाता है। यह भी कहा जाता है कि जिसके घर में हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं हो सकता। हकीक पत्थर का विभिन्न पूजा-पाठ, साधनाओं और उपासनाओं में प्रयोग किया जाता है। हकीक पत्थर के कुछ टोटके इस प्रकार हैं-

- जो व्यक्ति श्रेष्ठ धन की इच्छा रखते हैं वे रात्रि में सत्ताइस हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें, तो निश्चय ही उसके घर में अधिक उन्नति होती है।

- किसी शुक्रवार के दिन रात्रि में पूजा उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और एक सौ आठ बार ऊं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद माला को लक्ष्मीजी के मंदिर में अर्पित कर दें। धन से जुड़ी हर समस्या हल हो जाएगी।

- यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चढ़ा दें। कहें कि अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूं तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है।

इस तरह यह पत्थर धन से जुड़ी आपकी हर समस्या का हल कर देता है।


मुश्किल समय में जप करें इस मंत्र का

कभी-कभी जिंदगी ऐसी मुश्किलों से घिर जाती है कि समझ नहीं आता कि इन परेशानियों से कैसा निपटा जाए? मुसीबतों से निपटने के लिए तो हर व्यक्ति संघर्ष करता है लेकिन कई बार इंसान ऐसी परिस्थितियों में अपने आप को शक्तिहीन महसूस करने लगता है।

यदि आपके साथ भी यही समस्या है। आप संघर्ष करते-करते थक चुके हैं। लगने लगा है कि आपकी किस्मत आपका साथ नहीं दे रही है, ऐसे में सिर्फ  मंत्र शक्ति ही ऐसी शक्ति है जो आपको स्थिति से लडऩे की ताकत दे सकती है। ऐसे समय में नीचे लिखे मंत्र का जप करने से आपको मुश्किलों से लडऩे की शक्ति मिलेगी।



मंत्र

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तुते।



जप विधि

- प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा का पूजन करें। उन्हें लाल फूल चढ़ाएं।

- मां दुर्गा के सामने कुश का आसन लगाकर लाल चंदन अथवा कमल गट्टे की माला से  इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।

- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।







बड़े काम के हैं ये छोटे-छोटे टोटके

टोने-टोटके का नाम सुनते ही लोगों को डर लगने लगता है। उन्हें ऐसा लगता है कि हर टोने-टोटके में किसी पशु-पक्षी की बलि दी जाती है या उसमें कोई क्रूर कर्म किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। छोटे-छोटे व सामान्य टोटके भी बहुत अच्छे परिणाम दे सकते हैं। धन प्राप्ति के कुछ सामान्य टोटके इस प्रकार हैं-

टोटके

1- घर की प्रमुख महिला जो सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाती है, वह यदि प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर मुख्य द्वार पर छिड़के तो लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।

2- बुधवार लक्ष्मी के आगमन का दिन है। इस दिन धन का भुगतान अथवा माल या नगद राशि उधार में किसी को नहीं देना चाहिए। इससे धन आगमन में रुकावट होती है।

3- हर अमावस को लाभ की चौघडिय़ा के समय लक्ष्मी पूजन करें तो लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और धन लाभ होता है।

4- गुरुवार के दिन यदि आपको आपको अचानक अधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो उसमें से 15, 30, 45 या 60 के अनुपात में धन राशि का एक लिफाफा बनाकर मंदिर में रख दें।

5- दुकान या घर से निकलते समय खाली जेब न चलें। कुछ रुपए साथ लेकर चलें।

6- यदि किसी का कर्ज चुकाना है तो मंगलवार के दिन से उसे पैसा देना शुरु करें। इससे कर्ज जल्दी उतरेगा।



इस टोटके में छिपा है धनवान बनने का रहस्य

दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जो टोने-टोटकों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। ऐसा तंत्र शास्त्र में लिखा है। इस शास्त्र के स्वामी स्वयं भगवान शिव हैं। टोने-टोटकों से धन संबंधी समस्या भी आसानी से दूर की जा सकती है। इसके प्रभाव से गरीब भी धनवान सकता है। यदि आप भी धनवान बनना चाहते हैं तो यह टोटका करें।

टोटका

भादौ मास (14 अगस्त, रविवार से प्रारंभ) के कृष्ण पक्ष में भरणी नक्षत्र हो उस दिन जल से भरे हुए चार कलश लेकर वन में जाएं और वहां उन कलशों को एकांत में रखकर चुपचाप चले आएं। फिर दूसरे दिन जाकर जो कलश खाली मिले उसे घर में ले आएं। शेष को वहीं छोड़ दें। खाली कलश को घर के एकांत कोने में रखकर प्रतिदिन उठकर पूजा करें तो उस व्यक्ति पर लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसी के घर में निवास करती हैं।





हल्दी का पानी छिड़के घर में, दूर हो जाएगी पैसों की तंगी

इन दिनों जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, इससे प्रतीत होता है कि आने वाले समय में चाहे जितना भी पैसा कमाओ कम ही लगेगा। ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए कई और रास्ते खोजने होंगे।

पैसों के संबंध में कहा जाता है कि जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है उन्हें ही अपार धन प्राप्त होता है। अन्यथा पैसों की तंगी कभी पीछा नहीं छोड़ती है।

वास्तु के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर दिया जाए और सकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर दे तो निश्चित ही हमारे घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती जाएगी। परिवार के सभी सदस्यों को पैसों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रहेगी।

यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई वास्तु दोष है तो उसे बहुत सी परेशानियां सहन करनी पड़ती हैं। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए संबंधित वास्तु दोषों का निवारण किया जाना आवश्यक है।

धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के बाद ही पर्याप्त धन प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में हमेशा साफ-सफाई रखने के साथ ही यह उपाय अपनाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। प्रत्येक गुरुवार को पानी में हल्दी घोलकर पूरे में छिड़काव करें।

ध्यान रहे घर का कोई भी भाग या कोना छुटना नहीं चाहिए। घर में किसी भी प्रकार की गंदगी न हो, ना ही कोई मकड़ी के जाले हो। हल्दी के छिड़काव से घर पवित्र होता है और पॉजीटिव एनर्जी की बढ़ोतरी होती है। इससे परिवार के सदस्यों का मनोबल ऊंचा होता है और सभी कार्यों को पूरी मेहनत के साथ करते हैं। जिससे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।


यदि भविष्य में होने वाली किसी अशुभ घटना की जानकारी मिल जाए तो संभव है कि हम काफी परेशानियों से बच सकते हैं। ऐसी ही शुभ और अशुभ घटनाओं की ओर संकेत देता है ज्योतिष। कुछ ऐसे सपने हैं जिनका मतलब है कि भविष्य में कोई अशुभ घटना होने वाली है-



यदि कोई सपने में अपने आप को कड़वी दवाई लेते हुए देखता हैं तो उसका आने वाला समय कठिनाई भरा होता है। यदि सपने में कोई अपने आप को चीटियों को मारता हुआ देखे तो व्यापार में नुकसान हो सकता है।



जो व्यक्ति अपने अपनी नाव को तूफान में फंसा देखे तो आने वाला समय में काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। यदि सपने में रोता हुआ बच्चा देखें तो आने वाले समय में किसी महत्वपूर्ण काम में असफलता के कारण निराशा का सामना करना पड़ता है।



इन बुरे सपनों के बुरे प्रभावों से बचने के लिए नींद से तुरंत जागना चाहिए और पुन: थोड़ी बाद सो जाएं। इससे इन सपनों का बुरा प्रभाव खत्म हो सकता है। यदि ऐसे सपनों सुबह उठकर किसी को बता दिया जाए तब भी इन सपनों का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है। भगवान से प्रार्थना करने पर भी इन सपनों के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।

शनि को मनाने का सबसे आसान है यह छोटा और सस्ता उपाय

ज्योतिष शास्त्र में सबसे क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि का डर सामान्यत: सभी लोगों को रहता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति को कभी भी सफलता नहीं मिलती या बहुत मेहनत और परेशानियों के बाद कोई कार्य पूर्ण हो पाता है। शनिदेव को न्यायाधिश का पद दिया गया है, इसी कारण वे सख्त स्वभाव के माने गए हैं।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सभी कई प्रकार के प्रयास करते हैं। सामान्यत: शनि से डरने  वाले सभी लोग शनिवार के दिन शनि के निमित्त पूजन कर्म अवश्य ही करते हैं। शनि के लिए सबसे सरल उपाय है तेल का दान करना। हर शनिवार को एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरे देखें। इसके बाद यह तेल शनिदेव को चढ़ाएं या किसी गरीब व्यक्ति को दान कर दें।

यह उपाय सटीक माना जाता है। इसके प्रभाव से निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है। यदि कोई बड़ी पूजा-आराधना करने में असमर्थ है तो उसे यह उपाय अपनाना चाहिए।

Thursday 18 August 2011

शनिवार को बोलें ये हनुमान मंत्र..शनि नहीं दिखाएंगे तीखे तेवरश्री हनुमान न केवल सेवा व भक्ति के बेजोड़ आदर्श हैं, बल्कि बुद्धि, बल, पुरुषार्थ, पराक्रम और धर्मपालन के प्रेरक देवता है। व्यावहारिक जीवन में भी इन गुण, शक्तियों या सूत्रों से किसी भी संकट से पार पाना संभव है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक अच्छाईयों से परे होकर बुराईयों से जुडऩे पर ही शनिदेव की वक्रदृष्टि संकट का कारण बन सकती है। जिसके चलते शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पीड़ाओं का सामना करना पड़ सकता है। भाग्यबाधा भी आती है। इंसान दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो सकता है।

श्री हनुमान की उपासना ऐसे ही ग्रह दोषों से बचने का भी अचूक उपाय माना गया है। खासतौर पर शनि का कोप से रुद्र अवतार श्री हनुमान की भक्ति के आसान उपाय भी रक्षा करते हैं। जिनमें शनिवार के दिन श्री हनुमान के कुछ आसान मंत्रों का जप विशेष प्रभावी माना गया है। जानते हैं ये मंत्र -

- शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की पूजा सिंदूर, गंध, अक्षत, कलेवा, जनेऊ, फूल चढ़ाकर करें। यथाशक्ति नैवेद्य लगाकर गुग्गल धूप व दीप प्रज्जवलित करें और यथाशक्ति नीचे लिखे श्री हनुमान मंत्रों का रुद्राक्ष की माला से 108 बार लाल आसन पर बैठकर श्री हनुमान की प्रतिमा की ओर मुख कर स्मरण करें -

श्रृंखलाबन्धमोचकाय नम:।

सागरोत्तारकाय नम:।

दीप्तिमते नम:।



प्रतापवते नम:।

- मंत्र जप व स्मरण के बाद श्री हनुमान की आरती कर क्षमा प्रार्थना में शनि पीड़ा और संकटों से रक्षा की कामना करें व प्रसाद ग्रहण करें।



 

पूर्णिमा की शाम बोलें यह दत्तात्रेय मंत्र..मिलेगी भारी सफलता

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्वरूप माना गया है। भगवान दत्तात्रेय महायोगी व महागुरु के रूप में भी पूजनीय है। क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक भगवान दत्तात्रेय द्वारा 24 गुरुओं से शिक्षा ली गई। जिनमें मनुष्य, प्राणी, वनस्पति सभी शामिल थे। इसलिए दत्तात्रेय की उपासना में अहं को छोडऩे और ज्ञान द्वारा जीवन को सफल बनाने का संदेश है। वही धार्मिक दृष्टि से उनकी उपासना मोक्षदायी मानी गई है।

भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल यानी शाम के वक्त ही माना गया है। यही कारण है हर पूर्णिमा तिथि पर भी दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं।

यही कारण है कि गुरुवार और हर पूर्णिमा की शाम भगवान दत्त की उपासना में विशेष मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है। जानते हैं वह मंत्र व पूजा की सरल विधि -

- गुरुवार या पूर्णिमा की शाम दत्त मंदिर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेद फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे मंत्र से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप करें- जगदुत्पत्तिकत्र्रेचस्थिति-संहारहेतवे।

भवपाश-विमुक्तायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।

गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।

आदौ ब्रह्मा मध्येविष्णुरन्तेदेव: सदाशिव:।

मूर्तित्रय-स्वरूपायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

या इस मंत्र का जप करें -

ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा

- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती कर सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।

बड़ी सफलताओं के द्वार खोल देता है यह छोटा-सा गणेश मंत्र

जीवन में दु:ख और निराशा से बचना है तो हमेशा आगे बढऩे का जज्बा बनाए रखना बहुत जरूरी है। बस, यही एक सूत्र थाम लें, तो किसी भी बुरी से बुरी हालात से दो-चार होकर उसे मात देना आसान हो जाता है। इस तरह जीवन के हर दिन, हर कदम पर किसी न किसी रूप में जीत व सफलता मायने रखती है। किंतु इसके लिए ज्ञान और गुण संपन्नता भी बहुत जरूरी है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में इन दो खूबियों के दाता भगवान श्री गणेश को ही माना गया है। भगवान गणेश बुद्धिदाता, गुणदाता, ज्ञानप्रदाता हैं। बुधवार को शास्त्रों में बताए एक छोटे-से गणेश मंत्र विशेष का स्मरण बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से भेद सफलतम बनाने वाला माना गया है। जानें इसी मंत्र विशेष व पूजा, जप की आसान विधि -

- बुधवार के दिन किसी भी वक्त किंतु स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें।

- पूजा में श्री गणेश को लाल चन्दन, कनेर के फूल, दूर्वा चढ़ाएं व मोदक का भोग लगाएं।

- धूप बत्ती और घी का दीप लगाकर पूर्व दिशा में लाल आसन पर बैठ मूंगे या चन्दन की माला से नीचे लिखा गणेश मंत्र कम से कम 108 बार बोलें। विधान अनुसार सवा लाख जप शीघ्र फलदायी होता है। सुविधानुसार यह जपसंख्या लगातार 10 दिन या बुधवार व चतुर्थी के दिनों में पूरा कर सकते हैं -

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

- मंत्र जप के बाद क्षमाप्रार्थना कर श्री गणेश की आरती के साथ मनचाही सफलता की कामना करें। यथाशक्ति कन्याभोज कराएं।

अगर चाहिए आसानी से प्रमोशन तो..

 
आज हर कोई अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढऩा चाहता है लेकिन कुछ लोग दिन रात मेहनत करते है उसके बाद भी आगे नही बढ़ पाते। अगर आप अपने कार्यक्षेत्र में प्रमोशन चाहते हैं तो राशि अनुसार उपाय करें। इन उपायों से कार्यक्षेत्र में आपको उन्नति मिलेगी। 

   

मेष- मेष राशि वालों को अपनी राशि के अनुसार प्रमोशन के लिए भैरव मन्दिर में जलते दीपक में तेल डालना चाहिए।

वृष- कार्यक्षेत्र में पदोन्नति के लिए इस राशि के लोग हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।

मिथुन- मिथुन राशि वालों को पदोन्नति के लिए केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वाले कुत्ते को मिठी रोटी खिलाना चाहिए। इससे इस राशि वालों को कार्यक्षेत्र में पदोन्नती प्राप्त होती है।

सिंह- कार्यक्षेत्र में पदोन्नति के लिए सिंह राशि के लोग लक्ष्मी जी के मंदिर में सौभाग्य सामग्री यानी सौलह श्रंृगार दान दें।

कन्या- अगर कन्या राशि वाले हरे मूंग गाय को खिलाएं तो कार्यक्षेत्र में प्रमोशन होने के योग बनते हैं।

तुला- दुर्गा जी के मंदिर में चादी का दान दें।

वृश्चिक- अगर आपको प्रमोशन चाहिए तो आप रोज सूर्य को जल चढा़एं।

धनु- इस राशि वालों के कर्म का स्वामी बुध होता है इसलिए इस राशि वालों को किन्नरों को सुपारी का दान देना चाहिए।

मकर- मकर राशि के लोग शुक्रवार को कन्या भोजन करवाएं और सौभाग्य सामग्री लक्ष्मी जी के मन्दिर में दान दें।

कुंभ- प्रमोशन के लिए इस राशि वालों को दुर्गा जी की पूजा करनी चाहिए।

मीन- पीली गाय की सेवा करने से मीन राशि वालों को अपने कार्यक्षेत्र में जल्दी ही उन्नति होती है।

गुड़ से मिल जाएगा बहुत पैसा और शोहरत, जानिए उपाय...

आज खाने की चीजों को मीठा करने के लिए शकर का उपयोग किया जाता है लेकिन पुराने समय में गुड़ से खाने को मीठा किया जाता था। इसी वजह से भगवान को गुड़ से निर्मित चीजों का मीठा प्रसाद चढ़ाया जाता था। शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं को मीठा प्रसाद या भोग प्रिय बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि देवी-देवताओं को गुड़ चढ़ाने से वे जल्द ही प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालु को सभी इच्छित वस्तुएं प्रदान करते हैं। हनुमानजी कलयुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। बजरंगबली अपने भक्तों बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करते हैं जिससे वे सुख-समृद्धि की वस्तुएं अर्जित कर सकते हैं। हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें प्रतिदिन सुबह-सुबह गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही हनुमान चालिसा का पाठ करने के बाद ही कार्य प्रारंभ करना चाहिए। ऐसा करने पर बहुत ही कम दिनों में आपकी सभी परेशानियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं और धन प्राप्ति के नए मार्ग खुल जाते हैं। इस उपाय के साथ ही यह भी ध्यान रखें कि किसी भी अधार्मिक से सदैव दूर रहें और घर के वृद्धजनों का सम्मान करें। अन्यथा यह उपाय अपना पूरा प्रभाव नहीं दे पाएगा।

अनोखा उपाय- चमक उठेगी आपकी किस्मत, पानी में डालें काले तिल और...

क्या आपके व्यवसाय में धन हानि अधिक हो रही है? क्या आपके घर-परिवार में परेशानियों की वजह से रिश्तों में दरार पड़ गई है? क्या आपके बच्चों को बीमारियां सताती रहती हैं? क्या भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है? यदि इस प्रकार के प्रश्नों से आप परेशान हैं तो यहां एक सटीक ज्योतिषीय उपाय बताया जा रहा है, जिससे आपकी सभी परेशानियां गायब हो जाएंगी।

जीवन से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या को दूर करने के लिए शिव आराधना श्रेष्ठ उपाय है। प्रतिदिन शिवजी का विधि-विधान से पूजन करें। यदि विधिवत पूजन करने में असमर्थ हैं तो प्रतिदिन एक लौटे में शुद्ध जल भरें और उसमें थोड़े काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप के साथ चढ़ाएं। ध्यान रहे जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप बेहद फायदेमंद रहता है।

ऐसा प्रतिदिन करें। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर किसी भी सिद्ध शिव मंदिर में जाएं। जल चढ़ाने के साथ पुष्प और बिल्व पत्र भी अवश्य चढ़ाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में चमत्कारिक फल की प्राप्ति होने लगेगी। ध्यान रहे इस उपाय के साथ ही अधार्मिक कर्मों से खुद को दूर रखें। किसी का दिल न दुखाएं और वृद्धजनों का सम्मान करें।

आपको अचानक मिलने वाला है पैसा अगर

हर दूसरे दिन बदलने वाला चंद्रमा आपको मालामाल बना सकता है। ज्योतिष में चंद्रमा को सौम्य और स्त्री ग्रह माना गया है। अगर सौम्य ग्रह कुंडली के धन भाव या लाभ से संबंधित घर को देखता है या उन भाव में स्थित होता है तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन लाभ होता है। अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग बन रहें है तो आपको भी अचानक धन लाभ हो सकता है। 



- कुण्डली के धन भाव यानी दूसरे घर में शुक्र की राशि यानी वृषभ (2 नंबर) के साथ स्थित चंद्रमा स्थित होता है तो अचानक  धन लाभ देता है।

- धन, ऐश्वर्य और सुख देने वाले शुक्र ग्रह की राशि के साथ चंद्रमा कुंडली के सातवें भाव में बैठ कर पहले घर को देखता है तो अचानक  पैसा मिलता है।

- कुंडली का नवां भाव किस्मत का घर होता है। अगर चंद्रमा भाग्य के इस भाव में अपनी ही राशि यानी 4 नंबर के साथ होता है तो अचानक किस्मत बदलती है और पैसा मिलता है।

- अपनी ही राशि के साथ यानी 4 नंबर के साथ चंद्रमा कुंडली पांचवे घर में बैठा हो और लाभ भाव यानी ग्यारहवें भाव को देखता है तो अचानक धन लाभ होता है।

बहुत संपत्ति वाले होते हैं ऐसे लोग..

पूर्व में आपने पढ़ा कि मेष लग्न की कुंडली में सूर्य प्रथम, द्वितीय और तृतीय भाव में क्या फल प्रदान करता है? अब जानिए कि सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है...

यदि किसी व्यक्ति कुंडली की मेष लग्न की है और उसमें सूर्य चतुर्थ भाव में स्थित है तो वह व्यक्ति बहुत तेजी दिमाग वाला होता है। चतुर्थ भाव यानि कर्क राशि का स्वामी चंद्र है अत: व्यक्ति का दिमाग तेज रहता है लेकिन चंद्र के कारण वह शांत भी रहता है। इस चतुर्थ भाव से सूर्य अपनी सातवीं दृष्टि से शत्रु ग्रह शनि की राशि मकर राशि दसवे भाव पर प्रभाव डालता है। इस वजह से उस व्यक्ति के अपने पिता के साथ मधुर संबंध नहीं रहेंगे। इसके अलावा वह राज्य या शासकीय कार्यों में उदासीन रहेगा। इस भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति का समाज में अच्छा प्रभाव बना रहेगा और वह एक उच्च मुकाम भी हासिल करेगा। चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति को माता का काफी अधिक स्नेह मिलेगा। साथ ही वह संपत्ति और घर के संबंध में संपन्न रहेगा।

ऐसे लोगों के पास कभी पैसा जमा नहीं होता है, जिनकी कुंडली में...

पूर्व में बताया गया था कि मेष लग्न की पत्रिका में सूर्य के लग्न भाव में होने पर व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ते हैं। अब जानिए सूर्य यदि द्वितीय भाव में स्थिति हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहेगा?

भृगु संहिता के अनुसार द्वितीय भाव को धन का स्थान माना जाता है। द्वितीय भाव यानि वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह सूर्य का शत्रु माना गया है। अत: इस भाव में सूर्य होने पर व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियां उठाना पड़ती है। इसके अलावा द्वितीय भाव परिवार, रत्न आदि का भी है अत: व्यक्ति को परिवार से जुड़ी हुई कई समस्याएं जीवनभर सताएंगी। विद्या अध्ययन में भी कमी रहेगी।

द्वितीय भाव वृष राशि का सूर्य अपनी पूर्ण दृष्टि से आयु, मृत्यु तथा पुरातत्व के अष्टम भाव को अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में देख रहा है अत: व्यक्ति दीर्घायु होगा। उसे कभी-कभी अचानक धन की प्राप्ति होगी लेकिन वह कभी पैसा जमा नहीं कर सकेगा।
जब भी हम किसी व्यक्ति को देखते हैं या मिलते हैं तो तुरंत ही हमारे मन में उसके लिए कुछ न कुछ विचार अवश्य ही बन जाते हैं। अधिकांश लोगों का ध्यान सबसे पहले चेहरे पर ही जाता है। ऐसे में सामने वाले व्यक्ति से नजरे मिल पर आंखों पर ध्यान केंद्रित हो जाता है। तब आंखों के ऊपर की भौंहें की भी कुछ प्रतिक्रिया होती है। ज्योतिष के अनुसार इन भौंहों के आधार पर भी व्यक्ति का स्वभाव और आदतें मालुम की जा सकती हैं।

सभी व्यक्तियों की भौंहें अलग-अलग प्रकार की होती हैं और अलग-अलग होता है स्वभाव। ज्योतिष के अनुसार शारीरिक बनावट के आधार पर भी किसी भी व्यक्ति के संबंध में भविष्यवाणी की जा सकती है। किसी भी व्यक्ति से मिलते समय यदि उसकी भौंहों को ध्यान से देखा जाए तो आप भी उसके विषय में बहुत कुछ जान सकते हैं।

ज्योतिष की लाल किताब के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की दोनों भौंहें सुंदर, बारिक हैं तो समझना चाहिए कि वह आर्थिक रूप से सक्षम है और उसे पैसों की कोई कमी नहीं है। ऐसे लोग सुंदर विचारों वाले होते हैं।

जिस व्यक्ति की दोनों भौंहें चौड़ी एवं खूब घनी हो और आपस में मिली हुई हो तो उन लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

यदि किसी व्यक्ति की भौंहों के बाल रुखे, बेजान, सख्त दिखाई देते हैं तो निश्चित ही वह व्यक्ति निर्धन या गरीब हो सकता है। साथ ही उसका स्वभाव भी सख्त होता है।

अधिकांश राजा-महाराजाओं की भौंहे चौड़ी और घनी होती थी और दोनों भौंहे अलग-अलग रहती थीं। इससे स्पष्ट हैं कि जिन लोगों की भौंहे घनी और चौड़ी हो लेकिन आपस में मिली हुई न हो तो वह व्यक्ति बहुत अमीर हो सकता है। उसका जीवन किसी राजा-महाराजा के समान होगा। इस संबंध में ध्यान रखने योग्य बात यह है कि फैशन के इस दौरान में मेकअप टिप्स से भौंहों की बनावट बदल ली जाती है। अत: जो प्राकृतिक भौंहें हैं यह भविष्यवाणी उन्हीं पर लागू हो सकती है।

शारीरिक अंगों की बनावट के आधार पर भविष्यवाणी करने के लिए पूरे शरीर का अध्ययन करने पर ही सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। शरीर के अन्य अंगों के संबंध में लेख पूर्व में प्रकाशित किए गए हैं।

 

ऊपरी बाधा दूर करने का अचूक टोटका

भूत- प्रेत, ऊपरी बाधा या हवा। यह शब्द अक्सर हमारे सुनने में आते हैं। ऐसा माना जाता है जिन लोगों पर इनका असर होता है उनमें कुछ शारीरिक व मानसिक परिवर्तन हो जाता है। उत्तेजना में आकर ऐसे लोग किसी पर भी वार कर सकते हैं। भूत बाधा से पीडि़त व्यक्ति को नीचे लिखे टोटके से इस परेशानी से मुक्ति मिल सकती है।

सामग्री

लौंग का जोड़ा, फूल का जोड़ा, इलाइची, पान और पेड़ा।

टोटका

एक हरा दोना लेकर उसमें सबसे पहले पान रखें। उसके ऊपर फूल व अन्य वस्तुएं रखकर भूतबाधा से पीडि़त व्यक्ति के नाम राशि के ग्रह का मंत्र 108 बार पढ़ें। यह कार्य पवित्र होकर व दोना सामने रखकर करें। इसके पश्चात सात बार मंत्र पढ़ते हुए उस दोने को रोगी के सिर से पांव तक उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से प्रेत बाधा शांत हो जाती है ( यह टोटका अनटोका किया जाना चाहिए।)

Wednesday 10 August 2011

..तब तक पूजा-पाठ व प्रार्थना का कोई असर नहीं होगा!

धर्म में आस्था रखने वाले यानि आस्तिक लोगों को भी भगवान से शिकायत करते हुए देखा जाता है। कई लोग हैं जो ईश्वर से कभी-कभी नाराज हो जाते हैं। ऐसे धार्मिक लोगों को लगता है कि वे हमेशा पूरे नियम-कायदे से पूजा-पाठ, प्रार्थना और व्रत-उपवास करते हैं, लेकिन फिर भी उनके जीवन से दु:ख नहीं जाते, यहां तक की मन में शांति तक नहीं है।

ऐसे में यह प्रश्र उठता है कि इंसान की पूजा-पाठ और प्रार्थना ईश्वर तक क्यों नहीं पहुंचती? या, क्या ईश्वर इतना निष्ठुर और कठोर है जो अपने भक्तों को दु:ख और अंशांति से छुटकारा नहीं दिलाना चाहता?

पूजा-पाठ, प्रार्थना और भक्ति के बावजूद व्यक्ति के जीवन में अंशाति क्यों बनी रहती है? ऐसे ही गहरे प्रश्रों के हल खोजने के लिये आइये चलते हैं एक बेहद सुन्दर सच्ची कथा की ओर...

प्रसिद्ध राजा प्रसून के जीवन की घटना है। अपने गुरु के विचारों से प्रभावित होकर राजा ने राज्य का त्याग कर दिया, साधु-संन्यासियों के जैसे गेरुए कपड़े पहनकर हाथ में कमंडलु और भिक्षा पात्र लेकर निकल पड़े। शाम होने पर नियत से भजन-कीर्तन, जप-तप और पूजा-पाठ करते। यही सब कुछ करते हुए एक लंबा समय गुजर गया, लेकिन राजा प्रसून के मन को वह शांति नहीं मिली जिसके लिये उसने अपना राज-पाट छोड़ा था। राजा दुखी होकर एक दिन अपने गुरु के पास पहुंचा और अपनी मन की तकलीफ सुनाने लगा। राजा की सारी बात सुनने के बाद गुरु हंसे और बोले - ''जब तुम राजा थे और अपने उद्यान का निरीक्षण करते थे, तब अपने माली से पौधे के किस हिस्से का विशेष ध्यान रखने को कहते थे?''  अपने गुरु की बात ध्यान से सुनकर राजा प्रसून बोला - ''गुरुदेव! वैसे तो पौधे का हर हिस्सा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन फिर भी यदि जड़ों का ठीक से ध्यान न रखा जाए तो पूरा पौधा ही सूख जाएगा।''

राजा का जवाब सुनकर गुरु प्रशन्न हुए और बोले - ''वत्स! पूजा-पाठ, जप-तप, कर्मकांड और यह साधु-सन्यासियों का पहनावा भी सिर्फ फूल-पत्तियां ही हैं, असली जड़ तो आत्मा है। यदि इस आत्मा का ही आत्मा का ही परिष् कार यानी कि शुद्धिकरण नहीं हुआ तो बाहर की सारी क्रियाएं सिर्फ  आडम्बर बन कर ही रह जाते हैं। आत्मा की पवित्रता का ध्यान न रखने के कारण ही बाहरी कर्मकांड बेकार चला जाता है।''

इस सच्ची व बेहद कीमती सुन्दर कथा का सार यही है कि यदि मनुष्य का प्रयास अपनी आत्मा के निखार और जागरण में लगे तो ही उसके जीवन में सच्चा सुख-शांति और स्थाई समृद्धि आ सकती है। अन्यथा बाहरी पूजा-पाठ यानी कर्मकांड सिर्फ  मनोरंजन का साधन मात्र ही बन जाते हैं।

मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।

धन वशीकरण का गुप्त उपाय

इस भौतिकता प्रधान युग में यदि इंसान के पास पर्याप्त धन, उत्तम स्वास्थ्य, समाज में प्रतिष्ठा और परिचितों में मान-सम्मान हो तो फिर स्वर्ग की कामना कोई क्यों करे। ये कुछ ऐसी इनायतें हैं जो किसी नसीब वाले को ही हांसिल होती हैं। लेकिन किसी का पुरुषार्थ तो तभी सार्थक है जब वह अपना नसीब खुद ही रचे। हर मंजिल तक पहुंचने का एक सार्टकट तरीका जरूर होता है। टोटका भी ऐसा ही लघुमार्ग है। आजमाएं इन टोटकों को जो, बेहद मददगार हैं-

धन और यश प्राप्ति हेतु:  पुष्य नक्षत्र अथवा अन्य किसी सुभ मुहूर्त में सफेद आक की जड़ किसी ताबीज में भरकर धारण करें। धारण करने से पूर्व पंचोपचार से उसका पूजन करें। साथ ही नीचे दिये गए मंत्र का १०८ बार जप करें। कार्य में वांक्षित सफलता मिलने तक नियमित रूप से सूर्योदय से पूर्व पीपल वृक्ष की जड़ों में जल चढ़ाएं।


                                                                   मंत्र- ऊँ भास्कराय नम:

लक्ष्य पाना है तो इस मंत्र का जप करें

हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मेहनत भी करनी पड़ती है और बाधाएं भी आती हैं। ऐसे में कुछ लोग बाधाओं से घबराकर लक्ष्य प्राप्त किए बिना ही पीछे हट जाते हैं जबकि कुछ लोग हिम्मत से सभी बाधाओं को दूर करते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त करते हैं। यदि आपके लक्ष्य की प्राप्ति में कोई बाधा आ रही है तो नीचे लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से सभी प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती हैं।

मंत्र

ऊँ नम: शान्ते प्रशान्ते ऊँ ह्रीं ह्रां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।।



जप विधि

प्रतिदिन सुबह मुंह धोते समय इक्कीस बार इस मंत्र का पाठ करें और शाम को शक्कर मिलाकर पीपल की जड़ में पानी डालने सभी बाधाओं का नाश हो जाएगा।

Saturday 6 August 2011

यदि आप धनवान बनना चाहते है बहुत मेहनत करने पर धन आप के पास नहीं आता या आपके पास धन रुकता नहीं आप धन का वशीकरण करना चाहते है आप चाहते है आप पर हमेशा लक्ष्मी  जी की कृपा बनी रहे धन की हमेशा आप पर बारिश हो .
अच्छी नौकरी की तलाश है  लकिन भाग्य साथ नहीं देता 
पढाई मैं मन नहीं लगता
घर की समस्याओं से मन 

Friday 5 August 2011


आओ नजर उतारे-सत्यज्ञ


    यदि किसी बालक या व्यक्ति को नजर लग जाए तो यहां लिखे पांच प्रयोग में से कोई एक प्रयोग को करके नजर उतार सकते हैं- 
1. नजर लगे बच्चे या व्यक्ति पर से साबूत लालमिर्च ओसारकर जलती आग में डालें। ओसारने का काम बाएं हाथ से करें। यह प्रयोग तीन दिन तक करें और करते समय कोई टोके नहीं।
2. बालक के पालने में एक साबुत लाल मिर्च, सिन्दूर, एक लोहे की कील, साबूत उड़द के सात दाने सफेद पोटली में बांधकर लटकाने से नजर से बचाव होता है।
3. गाय का कच्चा दूज मिट्टी के सकोरे में रखकर नजर लगे बालक या व्यक्ति के सिर पर से सात बार बाएं हाथ से ओसारकर कुत्ते को पिला देने पर नजर उतर जाती है।
4. नजर लगे बच्चे पर बाएं हाथ से सात बार चप्पल ओसारकर जमीन पर पटकने से नजर उतरती है।
5. नजर लगे बच्चे या व्यक्ति पर बाएं हाथ से सात बार कोरा कपड़ा ओसारकर अपनी टांग के नीचे से निकालकर जलती आग पर डालने से नजर उतरती है। यह प्रयोग रविवार या बुधवार को करें।


विदेश यात्रा कराने वाला अनुभूत मन्त्र




    बहुत प्रयास के उपरान्त भी विदेश में नौकरी न लग रही हो या व्यापारिक लाभ नहीं हो पा रहा हो, विदेश यात्रा में बाधा आ रही हो तो आपको इस अनुभूत प्रयोग को अवश्य करना चाहिए।
    दिन या रात्रि किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं। दिन शुभ व शुक्लपक्ष का शुक्रवार चुनें। आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। दक्षिणवर्ती शंख व घी का दीपक सामने चौकी पर रख लें। केसर से स्वस्तिक चिह्‌न शंख पर बनाकर, पुष्प चढ़ाकर व धूपदीप आदि जलाकर स्फटिक की माला से पांच दिन में 11000 मन्त्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण हो जाने पर दक्षिणवर्ती शंख सफेद वस्त्र में लपेट करके सन्दूक या अपने ब्रीफकेस में रख देना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं अनंग वल्लभाये विदेश गमनार्थ कार्य सिद्धयर्थे नमः।
    इस प्रयोग में अंकित मन्त्रा को नियमित जपते रहना चाहिए इससे विदेश लाभ के अवसर जीवन में बार-बार आते हैं। आस्था व विश्वास के साथ किया गया यह प्रयोग निश्चय ही आपको विदेश यात्रा एवं वहां से लाभ कराएगा।
 
 
 
 
 

शरीर पर तिल और उसका प्रभाव


   
    कहा जाता है कि शरीर पंच तत्त्वों से निर्मित है। शरीर है और शरीर पर अलग-अलग जगह तिल भी दिखाई देते हैं। शायर के शब्‍दों में-अब मै समझा तेरे रूखसार पर तिल का मतलब, दौलते हुस्न पर दरबान बिठा रखा है। स्त्रियों के चेहरे पर तिल उनकी सुंदरता में सदैव चार चांद लगा देता है। इन तिलों ने कवियों, शायरों, लेखकों, गीतकारों और प्रेमियों को सदैव प्रभावित किया है, तभी तो उनकी रचनाओं में तिल की चर्चा होती रहती है।
    काले चेहरे पर तिल अधिक आकर्षक नहीं लगता है पर गोरे और सावंले चेहरे पर तिल से सौंदर्य बढ़ जाता है और देखने वाला सहसा कह उठता है क्‍या खूब सुन्‍दरता है। यदि बहुमुखी प्रतिभा के साथ ऐसा हो तो फिर क्या कहना! शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल के चिह्न को लेकर अनेक प्रकार की धारणाएं देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती है। शरीर पर तिल होने पर कहते हैं कि यहां पर पूर्व जन्म में चोट लगी थी। इस तरह की कई बातें तिल के विषय में लोक प्रचलित हैं।
    कभी-कभी मन में आता है कि शरीर पर तिल हो तो उसका क्‍या प्रभाव होगा। अलग-अलग स्‍थान पर तिल के होने का अलग प्रभाव होता है। तिल का अंगानुसार प्रभाव इस प्रकार समझना चाहिए-
    माथे पर तिल हो तो जातक बलवान होता है। जिस व्‍यक्ति के ललाट पर दायीं तरफ तिल हो, उसे प्रतिभा का धनी माना जाता है और बायीं तरफ होने पर उसे फिजूलखर्च करने वाला माना जाता है। जिसके ललाट के मध्य में तिल हो, उस व्‍यक्ति को अच्छा प्रेमी माना जाता है।
    ठुड्डी पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम नहीं रहता है पर व्यक्ति सफल और संतुष्ट होता है।
    दोनों भौहों के बीच तिल हो तो यात्रा बहुत करनी पड़ती है। दायीं भौं पर तिल वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहता है।
    दाहिनी आंख पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम होता है और बायीं आंख पर तिल हो तो स्‍त्री से विवाद या कलह होती है। किन्‍तु आंख पर तिल कंजूस प्रवृत्ति बनाता है। जिसके आंख के अंदर तिल हो, वह व्यक्ति कोमल हृदय अर्थात भावुक होता है।
    पलकों पर तिल जातक को संवेदनशील और एकांतप्रिय बनाता है।
    दाएं गाल पर तिल हो तो जातक धनी होता है और वैवाहिक जीवन सफल रहता है। बाएं गाल पर तिल हो तो जातक का खर्च बहुत होता है और संघर्षपूर्ण जीवन का द्योतक है।
    होंठ पर तिल हो तो विषय-वासना में रत रहे या अधिक रुचि रहे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि जातक विलासी प्रवृत्ति का माना जाता है। जिसके मुंह के पास तिल होता है, वह एक न एक दिन धन प्राप्त करता है।
     नाक पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
    कान पर तिल हो तो जातक अल्‍पायु होता है, परन्‍तु वह धीर, गंभीर और विचारशील होता  है।
    गर्दन पर तिल हो तो बहुत आराम मिलता है और व्यक्ति अच्छा मित्र होता है।
    जिनके दायें कंधे पर तिल होता है, वे दृढ संकल्पित होते हैं।
    दाहिनी भुजा पर तिल हो तो मान-सम्‍मान मिले और यदि बायीं भुजा पर तिल हो तो जातक झगड़ालू होता है। नाक पर तिल हो तो भी यात्रा बहुत करनी पड़े।
    जिसके बायें कंधे पर तिल होता है, वह व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है।
    कंधे और कोहनी के मध्य तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति में उत्सुक प्रवृत्ति का है।
    कोहनी पर तिल होना विद्वान होने का संकेत है।
    दाहिनी छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत प्रेम हो और यदि बायीं छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत झगड़ा होता है।
    कमर पर तिल हो तो जीवन परेशानियो से व्‍यतीत होता है। कमर पर दायीं ओर तिल होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी बात पर अटल रहने वाला और सच्चाई पसंद करने वाला है।
    दोनों छाती के मध्‍य में तिल हो तो जीवन सुख से बीतता है। 
    पेट पर तिल हो तो जातक अच्‍छा भोजन खाने में रुचि रखता है। पीठ पर तिल हो तो जातक यात्रा बहुत करता है।
    नाभि पर तिल मनमौजी प्रवृत्ति का संकेत है।
    टखना पर तिल इस बात का सूचक है कि आदमी खुले विचारों वाला है।
    कूल्हे पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति शारिरिक व मानसिक दोनों स्तर पर परिश्रमी होता है।
    दायीं हथेली पर तिल हो तो जातक शक्तिशाली होता है और बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है।
    दायें हाथ के ऊपर तिल हो तो जातक धनी होता है और बाएं हाथ के ऊपर तिल हो तो बहुत कम खर्च करता है। 
    जिस व्‍यक्ति के कोहनी और पोंहचे के मध्य कहीं तिल होता है, वह रोमांटिक प्रवृत्ति का होता है।   
    जिसके घुटने पर तिल हो, वह व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन जीता है।
    दाएं पैर में तिल हो तो जातक बुद्धिमान होता है और बाएं पैर पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है। पांव पर तिल लापरवाही का द्योतक है।
    जोड़ों पर तिल होना शारिरिक दुर्बलता की निशानी माना जाता है।
    तिल यदि बड़ा हो, तो शुभ होने के साथ अच्‍छा शकुन बढ़ाता है। यदि तिल पर बाल हो, तो वो शुभ नहीं माना जाता और न ही अच्छा भी लगता है। तिल गहरे रंग का हो, तो माना जाता है कि बड़ी बाधाएं सामने आएंगी और जिस अंग पर जो फल होगा वह अधिक मिलेगा। हल्के रंग का तिल शुभ होता है।
    यह सांकेतिक फल है और प्राय: ठीक बैठता है। किन्‍तु कई बार फल हास्‍यास्‍पद् सा जान पड़ता है।  कहने का तात्‍पर्य यह है कि जन्म से हमारे शरीर पर जो निशान बन जाते हैं, उनको लेकर समाज में अनेक धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। इनका सत्‍य से कितना संबंध है, यह कहा नहीं जा सकता। फिर भी बहुत सारे लोग इन पर अत्‍यधिक विश्‍वास करते हैं।

बच्चों को वश में करने का अनुभूत मन्त्र प्रयोग





आजकल बच्चे नशे या कुकर्मों में लिप्त होकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। काम नहीं करते हैं और यूं ही समय बर्बाद करते हैं। कहना भी नहीं मानते हैं। अपने माता-पिता की चिन्ता का कारण बने हुए हैं। 
दीपावली, ग्रहण या किसी शुभ मुहूर्त्त में इस मन्त्र को सिद्ध कर लें। अमुक के स्थान पर जिस बच्चे को वश में करना है या कन्ट्रोल में लाना है उसका नाम लें। 
मन्त्र की दस माला करने के बाद लौंग, इलायची या मिसरी को 21 बार मन्त्र पढ़कर अभिमन्त्रित कर लें। बाद मे जिसका नाम लें उसे चाय में या प्रसाद में देकर खिला दें। वह बच्चा वश में हो जाएगा और आज्ञा मानेगा। यह प्रयोग पहली बार में सफल न हो तो पुनः करें। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं क्लीम्‌ क्लीम्‌ अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।



तिलक कितना लाभकारी





   
    पूजन में तिलक लगाना महत्‍वपूर्ण एवं लाभकारी है। तिलक ललाट पर या छोटी सी बिंदी के रूप में दोनों भौहों के मध्य लगाया जाता है। मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक रसायनों का संतुलन होता है। इनसे मेघाशक्ति बढ़ती है तथा मानसिक थकावट के विकार नहीं होते हैं।
    मस्तक पर चंदन का तिलक सुगंध के साथ-साथ शीतलता देता है। ईश्‍वर को चंदन अर्पण करने का भाव यह है कि हमारा जीवन आपकी कृपा रूपी सुगंध से भर जाए एवं हम व्यवहार से शीतल रहें अर्थात् ठंडे दिमाग से कार्य करें। अधिकतर उत्तेजना में कार्य बिगड़ता है और चंदन लगाने से उत्तेजना नियंत्रित होती है। चंदन का तिलक लगाने से दिमाग में शांति, तरावट एवं शीतलता बनी रहती है।
    स्त्रियों को माथे पर कस्तूरी की बिंदी लगानी चाहिए। गणेश जी, हनुमान जी, दुर्गा माता जी या अन्य मूर्तियों से सिंदूर लेकर ललाट पर नहीं लगाना चाहिए, कारण है कि सिंदूर उष्ण होता है।
    वस्त्र धारण करने के उपरान्‍त उत्तर की ओर मुंह करके ललाट पर तिलक लगाना चाहिए। श्वेत चन्दन, रक्त चंदन, कुंकुम, मृत्रिका विल्वपत्र भस्म आदि कई पदार्थों से साधक तिलक लगाते हैं। विप्र यदि बिना तिलक के संध्या तर्पण करता है तो वह सर्वथा निष्फल जाता है। एक ही साधक को उर्ध्‍व पुण्डर तथा भस्म से त्रिपुंड नहीं लगाना चाहिए। चन्दन से दोनों प्रकार के तिलक किए जा सकते हैं।
    ललाट के मध्यभाग में दोनों भौहों से कुछ ऊपर ललाट बिंदु कहलाता है। सदैव इसी स्थान पर तिलक लगाना चाहिए।
    अनामिका उंगली से तिलक करने से शान्ति मिलाती है, मध्यमा से आयु बढ़ाती है, अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक कहा गया है, तथा तर्जनी से तिलक करने पर मोक्ष मिलता है।
    विष्णु संहिता के अनुसार देव कार्य में अनामिका, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक कार्यों में प्रथमा अंगुली  का प्रयोग होता है। 
    सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है!
    विष्णु आदि देवताओं की पूजा में पीत चंदन, गणपति-पूजन में हरिद्रा चन्दन, पितृ कार्यों में रक्त चन्दन, शिव पूजा में भस्म, ऋषि पूजा में श्वेत चन्दन, मानव पूजा में केशर व चन्दन, लक्ष्मी पूजा में केसर एवं तांत्रिक कार्यों में सिंदूर का प्रयोग तिलक के लिए करना चाहिए।