Saturday 10 September 2011

बोलें मात्र 1 अक्षर के गणेश मंत्र..आएगा सफलताओं का सैलाब

भगवान गणेश आदिदेव माने जाते हैं। इसलिए श्री गणेश परब्रह्म के पांच अलग-अलग रूपों में एक व प्रथम पूज्य भी हैं। हर शास्त्र ईश्वर की इन शक्तियों के कण-कण में बसे होने का संदेश देकर देवत्व भाव को अपनाने की सीख देता है। किंतु सांसारिक बंधन से स्वार्थ या दोषों के वशीभूत होकर हर जीव भटककर कलह और संताप पाता है।

ऐसी ही परेशानियों या मुश्किलों को सामना हम हर रोज घर या बाहर उठते-बैठते करते हैं। जिनसे छुटकारें के लिए अनेक तरीके अपनाते हैं। इनमें शास्त्रों में परब्रह्म स्वरूप भगवान गणेश के विराट रूप व शक्ति द्वारा जीवन को सफल व कलहमुक्त बनाने के लिए गणेश के बीज मंत्रों के स्मरण का भी महत्व है, जो कार्य व मनोरथसिद्धि में शक्तिशाली और असरदार भी माने गए हैं।

खास बात यह है कि पूजा-उपासना के अलावा अचानक मुसीबतों के वक्त भी मन ही मन इनका स्मरण संकटमोचन व कामयाबी का अचूक उपाय है। जानते हैं कौन-से ये छोटे किंतु प्रभावी गणेश एकाक्षरी बीज मंत्र -

- गं

- ग्लौं और

- गौं

शास्त्रों के मुताबिक ये एकाक्षरी मंत्र अन्य गणेश नाम मंत्रों के साथ लेने पर बहुत ही मंगलकारी व मनोरथसिद्ध करने वाले हैं।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।





इन सातों को नींद से जगाना मतलब खतरे की घंटी...

जीवन को सुखी और शांत बनाए रखने के लिए शास्त्रों में कई अचूक नियम और उपाय बताए गए हैं। इन उपायों और नियमों का पालन करने वाले इंसान को कभी भी दुख का सामना नहीं करना पड़ता। वे लोग हर पल सुखी और चिंताओं से मुक्त रहते हैं।

जीवन में सफलताएं प्राप्त करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य द्वारा कई सटीक सूत्र बताए गए हैं। इन्हीं से एक सूत्र ये है सर्प, नृप अथवा राजा, शेर, डंक मारने वाले जीव, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते और मूर्ख, इन सातों को नींद से नहीं जगाना चाहिए, ये सो रहे हैं तो इन्हें इसी अवस्था में रहने देना ही लाभदायक है।

यदि किसी सोते हुए सांप को जगा दिया जाए तो वह हमें अवश्य डंसेगा। किसी राजा को जगाने पर राजा का क्रोध झेलना पड़ सकता है। यदि किसी शेर को जगा दिया तब तो निश्चित ही मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है। किसी डंक मारने वाले जीव को जगाने पर भी मृत्यु का संकट खड़ा हो सकता है। यदि कोई छोटा बच्चा सो रहा है तो उसे जगाने पर संभालना मुश्किल होता है। दूसरों के कुत्तों को जगा दिया जाए तो वह भौंकना शुरू कर देगा, काट भी सकता है। यदि कोई मूर्ख इंसान सो रहा है तो उसे भी सोते रहने देना चाहिए क्योंकि मूर्ख व्यक्ति को समझा पाना बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी संभव नहीं हैं।


हर संकट से बचाएंगे श्रीगणेश के ये 21 नाम

क्या आप प्रत्येक कार्य में बाधा, व्यापार में घाटा, परिवार में क्लेश इत्यादि परेशानियों के कारण परेशान हैं तो घबराइए बिल्कुल मत क्योंकि भगवान श्रीगणेश आपकी हर परेशानी का समाधान कर सकते हैं। 10 सितंबर, शनिवार को गणेशोत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन यदि विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा 21 नामों से की जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं का निदान हो जाता है। यह नाम इस प्रकार हैं-

1- ऊँ सुमुखाय नम:

2- ऊँ गणाधीशाय नम:

3- ऊँ उमापुत्राय नम:

4- ऊँ गजमुखाय नम:

5- ऊँ लंबोदराय नम:

6- ऊँ हरसूनवे नम:

7- ऊँ शूर्पकर्णाय नम:

8- ऊँ वक्रतुण्डाय नम:

9- ऊँ  गुहाग्रजाय नम:

10- ऊँ एकदंताय नम:

11- ऊँ हेरम्बाय नम:

12- ऊँ चतुर्होत्रे नम:

13- ऊँ सर्वेश्वराय नम:

14- ऊँ विकटाय नम:

15- ऊँ हेमतुण्डाय नम:

16- ऊँ विनायकाय नम:

17- ऊँ कपिलाय नम:

18- ऊँ कटवे नम:

19- ऊँ भालचंद्राय नम:

20- ऊँ सुराग्रजाय नम:

21- ऊँ सिद्धिविनायकाय नम:




ये पौधा घर में होगा तो नहीं आएंगे यमराज या यमदूत

यमराज या यमदूत का नाम आते हैं मौत का डर सताने लगता है। हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु का समय आ जाता है उसकी आत्मा को लेने के लिए यमराज या यमदूत आते हैं। यमराज आने का अर्थ है साक्षात मृत्यु का आना। मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक है घर में तुलसी का पौधा लगाना।

शास्त्रों में तुलसी की बड़ी महिमा बताई गई है-

तुलसीकाननं चैव गृहे यस्यावतिष्ठते।

तद्गृहं तीर्थभूतं हि नायांन्ति यमकिंकरा:।

तुलसीमंजरीभिर्य: कुर्याद्धरिहर्रानम्।

न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी भवेन्नर:।।

वेद-पुराण में दिए गए श्लोक का अर्थ है- जिसके व्यक्ति के घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ के समान है। वहां मृत्यु के देवता यमराज नहीं आते हैं। जो मनुष्य तुलसीमंजरी से भगवान श्रीहरि की पूजा करता है उसे फिर गर्भ में नहीं आना पड़ता अर्थात उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है, पुन: धरती पर जन्म नहीं लेना पड़ता। इस श्लोक से स्पष्ट है कि तुलसी के पौधे को पवित्र और पूजनीय माना गया है।

यहां यमराज या यमदूत से यही तात्पर्य है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होगा वहां रहने वाले लोगों का जीवन स्वर्ग के समान होगा। तुलसी के प्रभाव से घर में सभी सुख-सुविधा के साधन होंगे। किसी को भी मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तुलसी का पौधा होने से वातावरण में मौजूद कई विषैले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। वास्तु के अनुसार तुलसी के पौधे से कई वास्तु दोषों का निवारण हो जाता है।


सही समय पर सही विकल्प पहचानने वाले रच देते हैं इतिहास...

समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं और इन समस्याओं को दूर करने के कई रास्ते भी होते हैं। कुछ लोग सही समय पर सही रास्ता चुन लेते हैं और वे सफलता के पथ पर आगे बढ़ जाते हैं। वहीं कुछ लोग सब कुछ भाग्य या नियति के भरोसे छोड़कर बैठ जाते हैं, जीवनभर दुखी होते रहते हैं।

एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने इस संबंध में कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए हैं। इन सूत्रों को अपनाकर कोई भी इंसान सफलता एक नया इतिहास रच सकता है। चाणक्य ने कहा है कि नियति तो अपना खेल रचती रहती है और इस खेल के प्रभाव से हमें कभी दुख मिलते हैं तो कभी सुख। दुख के समय में एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि नियति केवल कोई संयोग मात्र नहीं है, नियति व्यक्ति को हर समस्या से निकलने के लिए विकल्प अवश्य देती है।

बुद्धिमान इंसान वही है जो उन विकल्पों को पहचानकर, उनमें से सही विकल्प चुन लेता है। सबकुछ नियति के भरोसे छोड़कर बैठने वाले इंसान सदैव कष्ट और दुख के ही प्रतिभागी बन जाते हैं। ऐसे लोग जीवन में ना तो कुछ बन पाते हैं और ना ही कोई इतिहास बना पाते हैं। इसीलिए समझदारी इसी में है कि सही समय पर सही रास्तों को पहचाना जाए और उन रास्तों पर बिना समय गंवाए आगे बढ़ा जाए।

आचार्य चाणक्य की यह बात हर परिस्थिति में बहुत ही कारगर और समस्याओं से निजात दिलाने वाली है। जो भी इंसान नियति के इशारों को समझकर उन्हें जीवन में उतार लेता है वह नए इतिहास रच देता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए यह अचूक उपाय है। 





हर सुबह बोलें यह तुलसी मंत्र..खुशहाल रहेगा घर-परिवार

 
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा देवीय स्वरूप में पूजनीय है। धर्मग्रंथों में तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय बताई गई है। जिससे यह पवित्र और पापनाशिनी मानी गई है। धार्मिक दृष्टि से घर में तुलसी का पौधा और उसकी उपासना दरिद्रता का नाश कर सुख-समृद्ध करने वाली होती है। वहीं व्यावहारिक रूप से भी तुलसी को खान-पान में शामिल करना रोगनाशक और ऊर्जा देने वाला माना गया है।

शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन, घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। जानते हैं यह तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान विधि -

- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें। फल का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण अंत में तुलसी की पूजा करें -

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।

विष्णु प्रियायै धीमहि।

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

- पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।

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पैसे की तंगी दूर करता है यह टोटका

क्या आपके घर में हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है। खूब मेहनत करने के बाद भी घर में बरकत नहीं होती और धन प्राप्ति में बाधाएं या रुकावटें आती हैं तो इसका कारण कुछ और भी हो सकता है। कुछ लोग जलनवश तंत्र क्रिया के माध्यम से किसी के घर की समृद्धि रोक देते हैं जिसके कारण उस घर में हमेशा पैसे की कमी बनी रहती है। इस समस्या से निपटने के लिए नीचे लिखा टोटका करें-

टोटका

एक तांबे की लुटिया लें ढक्कन सहित और उसमें चांदी का सर्प-सर्पिनी का जोड़ा, चांदी का एक छोटा सा पतरा, पूजा के उपयोग में आने वाली सात सुपारियां, हल्दी की सात  साबूत और साफ गांठ डाल लें। अब इस लोटे को पानी से भर लें और इसका ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर दें। अब यह लुटिया मुख्य द्वार के पश्चिम की ओर दबा दें। इस टोटके से धन आगमन के द्वार खुल जाएंगे और आपके घर में फिर से सुख-समृद्धि का वास होगा।



क्या खास बात होती है ऐसे साइन करने वालों में

 
किसी इंसान के व्यवहार, सोच विचार, भूत और भविष्य के बारे में जानने के लिए कई तरह की विधियां और विज्ञान है। इनमें ग्रह नक्षत्र ज्योतिष, कुंडली, हस्त रेखा विज्ञान आदि है। ऐसे ही एक विधि है हस्ताक्षर से सोच-विचार, भूत और भविष्य जानने की।

लिखावट विज्ञान के अनुसार हर इंसान की लिखावट उसका आइना होती है। लिखावट में अक्षरों की बनावट और लिखने का तरिका आपकी सोच विचार, चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है। हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते है।



जानिए कैसे हस्ताक्षर वाले लोग कैसे होते है

जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर में सभी अक्षर एक ही आकार के बनाता है ऐसे साइन संतुलित हस्ताक्षर कहलाते हैं। जानिए कैसे होते हैं ऐसे लोग

-ऐसे व्यक्ति बहुत ही व्यवहारकुशल होते हैं।

- संतुलित हस्ताक्षर करने वाले लोग अपने कार्यों एवं इरादों पर दृढ़ रहते हैं।

- ऐसे व्यक्ति जो भी निर्णय लेते हैं, वह स्वतंत्र होता है।

- ज्यदातर ये देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति व्यवसाय से ज्यादा नौकरी में सफल होते हैं।

- इस तरह के लोग जल्द कामयाबी हासल करने की तीव्र इच्छा इनमें रहती है।

- ऐसे साइन करने वाले लोगों का व्यक्तित्व दूसरो आकर्षित करने मे प्रबल होता है।

- इनके विचारों से प्रभावित होने वालो की संख्या ज्यादा होती हैं।




शनिवार को इन आसान गणेश मंत्रों के ध्यान से होती है शनि कृपा

व्यावहारिक रूप से संस्कार, स्वभाव या संगत के प्रभाव से नियत कर्म, विचार, व्यवहार भी इंसान के लिए वक्त व हालात मुश्किल बनाते हैं। चाहे फिर वह शरीर, मन या धन की पीड़ाएं क्यों न हो? इसलिए अच्छाई ही सुख का आधार बताई गई है। जिसे अपनानें में व्यर्थ तर्क व विचारों में नहीं पडऩा चाहिए।

वहीं इसी बात का धार्मिक स्वरूप जानें तो शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि कर्मां के मुताबिक जगत के सभी जीवों को दण्ड देते हैं। हालांकि उनकी सजा प्रताडऩा के रूप में समझी जाती है, बल्कि असल में यह दोष निवृत्ति व आत्म चिंतन का काल होता है।

बहरहाल, धार्मिक दृष्टि से शनि पीड़ा कुण्डली में बुरे ग्रह योग या शनि दशा या दोष से क्यों न हो? उसके शमन के लिए विशेष देवताओं की उपासना और काल का भी महत्व बताया गया है। इनमें भगवान श्री गणेश भी एक हैं।

मान्यताओं में शनि, शिव भक्त व श्री गणेश भी शिव पुत्र हैं। वहीं पौराणिक कथा के मुताबिक शनि की क्रूर नजरों से गणेश के सिर छेदन के बाद शनि, मां पार्वती द्वारा शापग्रस्त हुए, तब शनि ने शापमुक्ति के लिये भगवान विष्णु द्वारा बताई  गणेश भक्ति की। यही कारण है कि गणेश पूजा शनि दोष का अंत करने वाली भी मानी गई है।

शनिवार शनि भक्ति का दिन है। यहां जाने श्री गणेश के कु छ छोटे-से मंत्र जिनका शनि मंदिर या गणेश मंदिर में बैठकर स्मरण करना परेशानियों और कष्ट-पीड़ा से मुक्त करता है -

- शनिवार को शनिदेव को सरसों तेल, काले तिल व सुगंधित फूल, काला वस्त्र तेल के पकवान का भोग चढ़ाएं। श्री गणेश को सिंदूर, चंदन, फूल व मोदक का भोग लगाकर धूप व तिल के तेल का दीप जलाएं व भगवान गणेश के इन मंत्रों का ध्यान करें या रुद्राक्ष माला से जप कर शनि व गणेश की आरती सुख की कामना से करें -

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे।

सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्रेशाय नमो नम:।।

या

ॐ क्लीं ह्रीं विघ्रनाशाय नम:। इस मंत्र का स्मरण करें।

- इस मंत्र स्मरण के बाद शनि व गणेश की आरती करें व दोनों देवताओं कृपा की कामना करें।

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अनन्त चतुर्दशी 11 को, इस व्रत से घर में आएंगी खुशियां

भाद्रमास मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान अनन्त की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। दस दिवसीय गणेशोत्सव की समापन भी इसी दिन होता है। इस बार अनन्त चतुर्दशी का पर्व 11 सितंबर, रविवार को है।

व्रत विधि

इस दिन व्रती महिला को सुबह व्रत के लिए संकल्प लेना चाहिए व भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनन्त सूत्र(14 गांठ युक्त धागा, जो बाजार में धागे के रूप में मिलता है) को रखकर भगवान विष्णु के साथ ही उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजा में रोली, मोली, चंदन, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीप, नैवेद्य आदि का प्रयोग करना चाहिए और प्रत्येक को समर्पित करते समय ऊँ अनन्ताय नम: नम: का जप करना चाहिए। पूजा के बाद यह प्रार्थना करें-

नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।

नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।

न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि

यानीह कर्माणि मया कृतानि।

सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व

प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।

दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:

प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।

तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च

प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।

प्रार्थना के पश्चात कथा सुनें तथा रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध लें। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जप करें-

अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।

अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।

इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देने के बाद स्वयं भोजन करें। इस दिन नमक रहित भोजन करना चाहिए।


कल 5 देव शक्तियों की पूजा का दुर्लभ योग..ये 5 इच्छाएं जल्द होंगी पूरी

हिन्दू धर्म में ईश्वर के पांच स्वरूप व शक्ति पूजनीय है। सारी सृष्टि इन शक्तियों के अधीन मानी गई है। ये पंचदेव के नाम से भी प्रसिद्ध है। ये पांच देवता हैं- सूर्य, शक्ति  या दुर्गा, शिव, गणेश व विष्णु। इन देवी-देवताओं की उपासना जीवन से जुड़ी अलग-अलग कामनासिद्धि के लिये भी श्रेष्ठ मानी गई है।

कल हिन्दू पंचांग भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी (11 सितंबर), जो गणेश जन्मोत्सव का भी अंतिम दिन माना जाता है, पर इन पांच देव शक्तियों की उपासना व पूजा का ही अद्भुत व पुण्य योग बना है। कैसे बना यह संयोग जानते हैं? -

- इस बार अनंत चतुर्दशी तिथि का योग रविवार के साथ बना है। चतुर्दशी तिथि गणेश जन्मोत्सव के अंतिम दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश भक्ति की विशेष घड़ी है।

- इसी तिथि के स्वामी श्री गणेश के पिता भगवान शिव हैं। शिव व शक्ति को एक-दूसरे के बिन निस्तेज व अधूरा माना गया है। इसलिए इस दिन शक्ति आवाहन भी शुभ है।

- इस तिथि पर जगतपालक भगवान विष्णु के अनंतनारायण स्वरूप की पूजा का महत्व भी है।

- रविवार का दिन सूर्यदेव की उपासना का विशेष दिन है।

इस तरह अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश के साथ शिव, दुर्गा, सूर्य व विष्णु की पूजा से जीवन से जुड़ी नीचे लिखी पांच अहम इच्छाओं को पूरा करने वाली होगी। जानें कौन-से देवी-देवता करेंगे किस इच्छा को पूरा -

श्री गणेश - बुद्धि, ज्ञान देकर व विघ्रनाश द्वारा सफलता की कामना।

सूर्यदेव - स्वास्थ्य, ऊर्जा और सौंदर्य देकर निरोगी जीवन की कामना।

शिव - आत्म संयम व अनिष्ट नाश कर शांति व सुख की कामना।

शक्ति - हर दोष, दुगुर्णो का अंत कर शक्ति संपन्नता की कामना।

विष्णु - कलह का अंत व गुण व दक्षता बढ़ाकर पालन-पोषण में सबलता।

अगर आप भी ऐसी ही कामना को जल्द पूरा करना चाहें तो इस दुर्लभ योग पर यथाशक्ति इन देवताओं की प्रसन्नता के उपाय करना न चूकें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।







3 comments:

  1. namaste sir mera naam jagdeep hai
    meh chahta hu ki aap ma kali ke kuch mantra bataye. kirpa dristi dale pranam

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  2. Sir namskar.....
    Ganeshji ka jo beej mantra h....usko keise bolte h.......mujhe ye batao....kuch log bolte ki bindi ko m bolte h...or kuch log bolte h ki g bolte h.....

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