विदेश यात्रा कराने वाला अनुभूत मन्त्र
बहुत प्रयास के उपरान्त भी विदेश में नौकरी न लग रही हो या व्यापारिक लाभ नहीं हो पा रहा हो, विदेश यात्रा में बाधा आ रही हो तो आपको इस अनुभूत प्रयोग को अवश्य करना चाहिए।
दिन या रात्रि किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं। दिन शुभ व शुक्लपक्ष का शुक्रवार चुनें। आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। दक्षिणवर्ती शंख व घी का दीपक सामने चौकी पर रख लें। केसर से स्वस्तिक चिह्न शंख पर बनाकर, पुष्प चढ़ाकर व धूपदीप आदि जलाकर स्फटिक की माला से पांच दिन में 11000 मन्त्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण हो जाने पर दक्षिणवर्ती शंख सफेद वस्त्र में लपेट करके सन्दूक या अपने ब्रीफकेस में रख देना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-
दिन या रात्रि किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं। दिन शुभ व शुक्लपक्ष का शुक्रवार चुनें। आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। दक्षिणवर्ती शंख व घी का दीपक सामने चौकी पर रख लें। केसर से स्वस्तिक चिह्न शंख पर बनाकर, पुष्प चढ़ाकर व धूपदीप आदि जलाकर स्फटिक की माला से पांच दिन में 11000 मन्त्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण हो जाने पर दक्षिणवर्ती शंख सफेद वस्त्र में लपेट करके सन्दूक या अपने ब्रीफकेस में रख देना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं अनंग वल्लभाये विदेश गमनार्थ कार्य सिद्धयर्थे नमः।
इस प्रयोग में अंकित मन्त्रा को नियमित जपते रहना चाहिए इससे विदेश लाभ के अवसर जीवन में बार-बार आते हैं। आस्था व विश्वास के साथ किया गया यह प्रयोग निश्चय ही आपको विदेश यात्रा एवं वहां से लाभ कराएगा।
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