Thursday, 18 August 2011

पूर्णिमा की शाम बोलें यह दत्तात्रेय मंत्र..मिलेगी भारी सफलता

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्वरूप माना गया है। भगवान दत्तात्रेय महायोगी व महागुरु के रूप में भी पूजनीय है। क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक भगवान दत्तात्रेय द्वारा 24 गुरुओं से शिक्षा ली गई। जिनमें मनुष्य, प्राणी, वनस्पति सभी शामिल थे। इसलिए दत्तात्रेय की उपासना में अहं को छोडऩे और ज्ञान द्वारा जीवन को सफल बनाने का संदेश है। वही धार्मिक दृष्टि से उनकी उपासना मोक्षदायी मानी गई है।

भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल यानी शाम के वक्त ही माना गया है। यही कारण है हर पूर्णिमा तिथि पर भी दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं।

यही कारण है कि गुरुवार और हर पूर्णिमा की शाम भगवान दत्त की उपासना में विशेष मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है। जानते हैं वह मंत्र व पूजा की सरल विधि -

- गुरुवार या पूर्णिमा की शाम दत्त मंदिर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेद फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे मंत्र से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप करें- जगदुत्पत्तिकत्र्रेचस्थिति-संहारहेतवे।

भवपाश-विमुक्तायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।

गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।

आदौ ब्रह्मा मध्येविष्णुरन्तेदेव: सदाशिव:।

मूर्तित्रय-स्वरूपायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

या इस मंत्र का जप करें -

ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा

- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती कर सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।

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